कांग्रेस शासित राज्यों के वित्तमंत्रियों ने जीएसटी को देश का सबसे भ्रमित टैक्स सिस्टम बताते हुए इसमें व्यापक बदलाव पर जोर दिया है। मंत्रियों के मुताबिक जीएसटी का सिस्टम काफी उलझा हुआ है। यदि कोई व्यक्ति सभी राज्यों में कारोबार करता है तो उसे इस सिस्टम के तहत साल में 1332 रिटर्न भरनी पड़ेगी। कांग्रेस गुवाहाटी में दस नवंबर को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में इन पेचीगदियों को उठाएगी।
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल, कर्नाटक के वित्त मंत्री कृष्णा बी गौड़ा और पुडुचेरी के वित्त मंत्री कमला कानन ने सोमवार को साझा प्रेस वार्ता में कहा कि जीएसटी को आजादी के बाद सबसे बड़ा सुधार कार्यक्रम के तौर पर जोर-शोर से प्रचारित किया गया था। मध्यरात्रि में संसद बुलाकर इसे अभूतपूर्व तरीके से लागू किया गया। तब यह माना गया था कि जीएसटी लागू होने से जीडीपी में दो फीसदी का इजाफा होगा। कारोबारियों को फायदा होगा। लेकिन इससे लोगों को काफी निराशा मिली है और जीडीपी का स्तर काफी गिर गया है। इसे लागू करने का तरीका काफी खराब था। इसे लेकर कारोबारियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। आगामी चुनावों के चलते सरकार जीसीटी की कुछ दरों में राहत की बात कर रही है।
बादल ने कहा कि सबसे ज्यादा जीएसटी का असर लघु और मध्यम कारोबारियों पर पड़ा है। कंपोजिट योजना भी केवल कागजों तक सीमित है। इस योजना का लाभ कारोबारियों को नहीं मिल पा रहा है। अंतरराज्यीय आपूर्तिकर्ताओं को मंजूरी नहीं मिल पा रही है। निर्माण के क्षेत्र में भी 28 फीसदी टैक्स लगा दिया गया है जिससे घरों की कीमत बढ़नी तय है। जीएसटी की दरें दुनिया में सबसे ज्यादा हैं, जबकि ज्यादातर देशों में एक ही टैक्स की दरें है और वह भी 15 फीसद से कम है। अधिकतम टैक्स की दरें 18 फीसदी हैं। जीएसटी में ज्यादार चीजों पर सबसे ज्यादा 28 फीसद का टैक्स लगा दिया गया है। जहां तक राज्यों को जीएसटी से नुकसान होने की बात है तो राज्यों के लिए केंद्र सरकार आठ हजार रुपये करोड़ रुपये प्रतिमाह क्षतिपूर्ति करने का प्रावधान रखा है और इसे कोई समस्या का समाधान नहीं कहा जा सकता।