उन्होंने कहा कि मात्र 313 मुसलमानों ने पूरी दुनिया में झंडे गाड़ दिए थे और मुसलमानों ने 600 वर्षों तक हिंदुस्तान पर हुकूमत की थी। उन्होने आगे कहा कि आजादी से अब तक एक भी ऐसा नेता नहीं जिसके पीछे दस प्रतिशत भी मुस्लिम आबादी एकजुट होकर चली हो। बसपा नेता ने कहा कि जिस कांफिले का सेनापति नहीं होता वो काफिला भटक जाता है और लुट जाता है। मुसलमान आज भटक रहे है और लुट रहे है।
उन्होने गरजते हुए कहा कि 313 मुसलमान शासक न होते तो आज नसीमुद्दीन सिद्दीकी मुसलमान की हैसियत से आपके बीच न होता। आज करोड़ों मुसलमान अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं और जिस दिन दलित मुस्लिम एक हो गए हिंदुस्तान की हुकूमत मुसलमानों के कदम चूमेगी।
नसीमुद्दीन ने इस तरह का बयान देकर एक तरह से बसपा के पाले में मुसलमान वोटों को एकजुट करने की कोशिश की। उन्होने कहा कि एक से डेढ़ प्रतिशत सिख और ईसाईयों के काम हो रहे हैं और मुसलमान रोना रो रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि सिख और ईसाई नेताओं के साथ उनकी पूरी बिरादरी चलती है।
उन्होंने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि उसे राम मंदिर मुद्दे से कुछ लेना देना नहीं। उन्होने कहा कि गौरक्षा, बीफ, लव जिहाद और घर वापसी के बाद अब अयोध्या में मंदिर निर्माण का मुद्दा आने वाला है। चुनाव को देखते हुए भाजपा ऐसे जाल रचती है। केन्द्र के मंत्रियों ने अयोध्या के दौरे शुरू कर दिये हैं। भाजपा चुनाव आते ही मंदिर निर्माण शुरू कर देती है और चुनाव ख़त्म होते ही मंदिर निर्माण ख़त्म हो जाता है।