दरअसल राज्य की 11 सीटाें के लिए हो रहे चुनाव में सपा ने सात, बसपा ने दो, भाजपा और कांग्रेस ने एक-एक उम्मीदवारों काे टिकट दिया था। इससे माना जा रहा था कि सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुनाव जीत जाएंगे लेकिन अंतिम समय पर प्रीती महापात्र के पर्चा दाखिल करने से अब चुनाव होना अनिवार्य हो गया। प्रदेश में विधायकों की संख्या के आधार पर सपा, बसपा और भाजपा के सभी उम्मीदवारों का राज्यसभा में जाना तय है लेकिन कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के पास पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं होने के कारण उनकी सीट फंसने का अनुमान हो गया है।
निर्दलीय उम्मीदवार प्रीती महापात्र को भाजपा के साथ-साथ कुछ निर्दलीय और सपा से निष्कासित विधायकों का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा। भाजपा के विधायकों ने प्रीती के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर भी किए हैं। प्रीती महापात्र के पति हरी महापात्र हीरों के व्यापारी हैं। प्रीती एक एनजीओ चलाती हैं और नरेंद्र मोदी विचार मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। प्रीती के चुनाव लड़ने से अब मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है।