पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के द्वारा आर्थिक मोर्चों पर मोदी सरकार को घेरने से सियासी हड़कंप मचा हुआ है। यशवंत के बहाने जहां विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है वहीं सरकार भी जवाब देने की कोशिशों में जुटी है। बता दें कि इस दौरान प्रमुख रूप से यशवंत के निशाने पर वित्तमंत्री अरूण जेटली रहे। जेटली के सर पर ही बदहाल अर्थव्यवस्था का ठीकरा फोड़ा गया।
तीखी आलोचनाओं के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर इसका जवाब दिया। जानिए नोटबंदी और जीएसटी पर उठ रहे सवालों पर पलटवार करते हुए जेटली ने सिन्हा का नाम लिए बगैर कैसे उन्हें निशाने पर लिया-
-जेटली ने कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य (विलास) नहीं है, न ही उनके पास ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है। ( इसमें जेटली का पहला उल्लेख सिन्हा के लिए और दूसरा चिदंबरम के लिए माना जा रहा है।)
-जेटली ने सिन्हा को 80 साल की उम्र में नौकरी चाहने वाला करार देते हुए कहा कि वह वित्त मंत्री के रूप में अपने रिकॉर्ड को भूल गए हैं और नीतियों की बजाय व्यक्तियों पर टिप्पणी कर रहे हैं।
-उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री होने पर मैं आसानी से यूपीए-2 में नीतिगत शिथिलता को भूल जाता। मैं आसानी से 1998 से 2002 के एनपीए को भूल जाता। (उस समय सिन्हा वित्त मंत्री थे) मैं आसानी से 1991 में बचे चार अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को भूल जाता। मैं पाला बदलकर इसकी व्याख्या बदल देता।
-जेटली ने कहा कि शुरुआत में उनकी आलोचना इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने बदलाव जल्दी किए। उन्होंने कहा, “जीएसटी के बाद सबसे बड़ी आलोचना यह हुई कि मैंने नोटबंदी के तुरंत बाद जल्दबाजी में जीएसटी लागू क्यों किया।”
-महंगाई पर अपनी सरकार जेटली ने कहा, “हमें विरासत में महंगाई दर 9 से 10 प्रतिशत के पास मिली थी जो अब 3.6 प्रतिशत तक आ चुकी है।”
-जेटली ने कहा, “हमारी सरकार ने निर्णायक कदम उठाए हैं और हमने नोटबंदी कर ब्लैक मनी पर हमला किया है।”
-जेटली ने कहा कि डायरेक्ट टैक्स पिछले साल की तुलना में 15.7 प्रतिशत ज्यादा आया है।
-जेटली ने कहा कि चिदंबरम को मेरा रिकॉर्ड तोड़ने के लिए दोबारा जन्म लेना होगा। एक ऐसा अयोग्य 'डॉक्टर' जो राजकोषीय घाटे को ठीक करने में नाकाम रहा। मैं उन्हें अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने का आरोपी मानता हूं।
- उन्होंने कहा कि 1999 में बोफोर्स को लेकर विवाद हुआ, मैंने आवाज उठाई। आडवाणी जी ने मुझे बधाई दी और मेरे हाथ पकड़ लिए। जब संसद में बोलो, तो मुद्दों पर बोलो, व्यक्तियों पर नहीं।
-सिन्हा पर हमला बोलते हुए कहा, " 2002 का साल अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बेकार था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मजबूरन वित्तमंत्री को हटाना पड़ा।"