मेरठ बाईपास स्थित डाबका में हुई अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की ‘जाट संकल्प रैली’ में अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि बीते 17 मार्च, 2015 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्रीय सेवाओं में मिले आरक्षण को खारिज करने के बाद 26 मार्च को प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष ने कानूनी प्रक्रिया पूरी कर आरक्षण देने का आश्वासन जाट प्रतिनिधियों को दिया था। लेकिन डेढ़ साल बीतने के बाद भी आरक्षण नहीं मिला। फरवरी, 2016 में हरियाणा में हुए जाट आंदोलन के बाद केंद्र व राज्य सरकार के साथ हुआ समझौता भी लागू नहीं किया गया।
मलिक ने कहा कि अब समय आ गया है कि जाट समाज 13 राज्यों में अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर यूपी, पंजाब और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराकर सबक सिखाए। अगले माह इन तीनों राज्यों के 100 सांसदों को ज्ञापन भी दिया जाएगा। आरक्षण नहीं मिला तो 2019 में भाजपा को वोट नहीं दिया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष मानवेंद्र वर्मा ने कहा कि प्रदेश में जाट समाज की प्रभावशाली 125 विधानसभा सीटों पर प्रभारी बनाए जा रहे हैं। जहां भाजपा को सबक सिखाया जाएगा।
रैली में संकल्प लिया गया कि यूपी, उत्तराखंड और पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र में 9 राज्यों के जाटों को आरक्षण नहीं मिलने पर भाजपा को हराने वाले दूसरे दल के प्रत्याशी के पक्ष में वोट दिया जाएगा। हरियाणा में जाट आंदोलन के बाद हुए समझौते को लागू करने की मांग की गई है।
यूपी की जाट बाहुल्य 125 विधानसभा सीटों पर दौरा करके जाटों को भाजपा के विरुद्ध लामबंद किया जाएगा। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान जाट बाहुल्य सीटों से जीते सांसदों को ज्ञापन देकर जाट आरक्षण की मांग संसद में उठवाने की मांग करेंगे।