जेएनयू विवाद पर पहली बार बोलते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उनसे जेएनयू मुद्दे पर बहुत से सवाल किए और कहा कि उन्हें अपने बयानों और मांगों के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वामपंथी प्रगतिशील विचारधारा के नाम पर राष्टद्रोहियों का समर्थन स्वीकार्य नहीं है। शाह ने एक ब्लॉग में आरोप लगाया, राष्ट्रीय राजधानी में एक प्रमुख विश्वविद्यालय का नाम खराब करने का प्रयास हो रहा है और इसके लिए इसे अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने के केंद्र के तौर पर बदला जा रहा है। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या केंद्र सरकार का चुप रहना राष्ट्रीय हित में होगा? उन्होंने कहा, क्या आप इन राष्ट्र-द्रोहियों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर उनका हौसला नहीं बढ़ा रहे?
शाह ने कहा कि जेएनयू में पाकिस्तान जिंदाबाद, भारत वापस जाओ और संसद हमलों के दोषी अफजल गुरू के समर्थन, कश्मीर की आजादी और भारत की बर्बादी के नारे लगाए गए थे। ऐसे में वे जानना चाहते हैं कि क्या कांग्रेस नेता ने अलगाववादियों से हाथ मिला लिए हैं। उन्होंने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अलगाववादियों को खुली छूट देकर क्या वह भारत का एक और बंटवारा कराना चाहते हैं? जिस तरह के बयान कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने जेएनयू में दिए उससे यह बात साबित होती है कि उनके दिमाग में राष्ट्रीय हित का कोई स्थान नहीं है।
राहुल ने इस विवाद को लेकर भाजपा एवं आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा कि देश की संस्कृति की विविधता के लिए इन लोगों के मन में सम्मान नहीं है तथा वे हर किसी के विचारों पर नियंत्रण करना चाहते हैं। उन्होंने असम के सोनितपुर जिले में पार्टी की एक सभा में कहा, भाजपा और आरएसएस देश की सांस्कृतिक विविधता और लोगों की भावनाओं का सम्मान नहीं करते। वे चाहते हैं कि हर कोई उनके विचारों का अनुसरण करे। भाजपा और आरएसएस लोगों पर जबरन अपने विचार थोपकर बांटने और नफरत के एजेंडा का अनुसरण कर रहे हैं। जेएनयू में हालिया घटनाक्रमों से यह देखा जा सकता है। उन्होंने कहा, उन्हें हर जगह, यहां तक कि विश्वविद्यालयों में आतंकवाद दिखायी पड़ता है और जो भी उनके विचारों से सहमत नहीं होता है उसे आतंकवादी ठहरा देते हैं।
इस बीच कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जेएनयू कैंपस को लेकर चल रहे विवाद का मुद्दा संसद में उठाएगी। उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की। अंबाला में उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं कि जेएनयू के कार्यक्रम को लश्करे तैयबा प्रमुख हाफिज सईद का समर्थन था। उन्होंने कहा, केंद्रीय मंत्री को अपने गंभीर आरोपों को लेकर देश के लोगों के साथ सबूत साझा करना चाहिए। कांग्रेस बजट सत्र में यह मुद्दा उठाएगी। गृहमंत्री ने कल यह दावा कर राजनीतिक विवाद भड़का दिया था कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के विरोध में जेएनयू में हुए कार्यक्रम को सईद का समर्थन था।