कांग्रेस की सरकार मध्य प्रदेश में बनने के बाद विधायकों की नाराजगी से गिर गई। उपचुनाव में भी कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। इन सब के बावजूद राज्य में कमलनाथ का दबदबा बना हुआ है। वे अभी भी प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों ही पदों पर बने हुए है। कांग्रेस आलाकमान भी उन्हें हटाने को लेकर कोई फैसला नहीं कर पा रहा है।
कांग्रेस के 24 विधायकों ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। इन सभी ने कमलनाथ के रवैये को इसके लिए दोषी बताया था। कमलनाथ ने सरकार बचाने को लेकर हाईकमान को आश्वस्त किया था कि सरकार बच जायेगी किन्तु ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद उनकी ओर से दावा किया गया कि उपचुनाव में सारी सीटें जीतकर कांग्रेस सरकार में वापसी करेगी। यहां पर भी हार का सामना करना पड़ा।
इन सबके बावजूद कमलनाथ का प्रदेश की राजनीति में दबदबा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बागी विधायकों ने खुलकर कमलनाथ पर कई आरोप लगाये और केवल उन्हीं की वजह से पार्टी छोड़ने का फैसला भी किया। इतनी बड़ी संख्या में विधायक पार्टी छोड़कर चले गये फिर भी कमलनाथ पर कांगे्रस नेतृत्व का भरोसा बना हुआ है। इसी वजह से प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों पदों पर वे बने हुए है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कमलनाथ लंबे समय से कांग्रेस नेतृत्व के करीब रहे है। इसी वजह से जब तक सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनी रहेंगी कमलनाथ इसी तरह मजबूत रहेंगे। उनके हटने का कोई सवाल ही नहीं है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में पार्टी को कोई मजबूत नेतृत्व भी दिखाई नहीं दे रहा है, जो इस कठिन समय में पार्टी की कमान संभाल सके । यदि सोनिया की जगह राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बनते है तो स्थितियां बदल सकतीं है।