कारात ने केरल के अलपुझा में माकपा के 21वें राज्य सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर अमेरिका के साथ रक्षा संबंधी समझौते की जानकारी लोगों से छुपाने और अध्यादेशों की बाढ़ लाकर संसद को दरकिनार करने का आरोप लगाया। उन्होंने अल्पसंख्यकों पर हमलों और कला एवं संस्कृति के क्षेत्रों में अभिव्यक्ति की आजादी के प्रति बढ़ती असहिष्णुता पर भी चिंता व्यक्त की।
कारात ने कहा, मोदी सरकार के नौ महीने के छोटे से कार्यकाल में यह स्पष्ट है कि हमारे देश में आक्रामक दक्षिणपंथी अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान को दो बड़ी ताकतें चला रही हैं। एक, कॉरपोरेट जगत और बड़े व्यावसायिक घराने और दूसरा, संघ नीत हिंदुत्व ताकतें। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट जगत आक्रामक तरीके से नवउदारवादी नीतियां अपना रहा है और संघ एवं हिंदुत्व ताकतें अपने साम्प्रदायिक एजेंडे को आगे बढा रही हैं।
उन्होंने कहा कि सरकारी की अहम नीतियां संघ से प्रभावित हैं। कारात ने कहा, हमारे पास एक ऐसी सरकार है जो भाजपा और संघ का संयुक्त उपक्रम है। उन्होंने कहा, हमारी ऐसी स्थिति है कि जहां संघ भाजपा को केवल संचालित या निर्देशित ही नहीं कर रही अपितु उसे सरकार चलाने के लिए दिशानिर्देश दे रही है और मार्गदर्शन भी कर रही है।
माकपा महासचिव ने कहा कि भूमि अधिग्रहण संबंधी अध्यादेश समेत सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश उसका दक्षिणपंथी चरित्र दर्शाते हैं। कारात ने वाम की एकता को मजबूत करने की अपील की हालांकि माकपा की राज्य इकाई के नेतृत्व एवं वरिष्ठ नेता वी.एस. अच्युतानंदन के बीच मतभेद के विषय पर बात नहीं की। 23 फरवरी को समाप्त होने वाले इस सम्मेलन में यह विषय उठाए जाने की संभावना है।