कर्नाटक की सियासत में बड़ा उलटफेर हुआ है। आम-धारणा थी कि भाजपा जैसे-तैसे सूबे में सरकार बना लेगी। बीएस येदियुरप्पा शपथ भी ले चुके थे। लेकिन सिर्फ ढाई दिनों के बाद उन्हें फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा देना पड़ा।
लोगों का मानना था कि भाजपा जोड़-तोड़ करके कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को मैनेज कर लेगी। लेकिन उनके विधायक न उनसे टूटे, न ही सदन से गैरहाजिर हुए। उल्टा कांग्रेस-जेडीएस ने कथित तौर पर भाजपा नेताओं के द्वारा कांग्रेस विधायकों को लालच देने का ऑडियो भी रिकॉर्ड कर लिया।
ऐसा नहीं है कि ये सभी घटनाक्रम इतनी आसानी से हुआ हो। भाजपा लगातार नंबर गेम को अपने पाले में करने के लिए कवायद करती रही। जबकि कांग्रेस अपने विधायकों को बचाने के लिए मशक्कत करती रही।
आइए इन्हीं मशक्कत और कवायद पर नजर डालें-
भाजपा को जोर का झटका...ऐसे लगा..
भाजपा फ्लोर टेस्ट के कुछ घंटे पहले भी खुद को विश्वास मत हासिल होने को लेकर आश्वस्त दिखाती रही। लेकिन पार्टी को बड़ा झटका तब लगा जब कांग्रेस के गायब विधायक सदन में हाजिर हो गए। बता दें कि कर्नाटक विधानसभा की 222 सीटों के लिए चुनाव हुए थ्ाे, जिसमें भाजपा के 104 विधायक जीतकर आए हैं। जेडीएस के 37 और कांग्रेस के 78 विधायक और 3 अन्य दलों के विधायक जीत कर आए हैं। येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 8 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत थी। हालांकि, जेडीएस के कुमारस्वामी दो सीटों से जीतकर विधायक बने हैं। ऐसे में उन्हें एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा। साथ ही एक प्रोटेम स्पीकर के एक वोट घटने से ऐसी हालत में 220 सीट के लिहाज से भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 111 सीटों की ही जरूरत थी। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा भाजपा के पक्ष में नहीं दिख रहा था।
बहुमत के लिए 15 दिन... और कानूनी लड़ाई
भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल ने 15 दिनों का वक्त दिया था। इधर दिल्ली में बैठे कांग्रेसी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देकर मामले को कानूनी लड़ाई में बदल दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 24 घंटे का वक्त तय कर दिया। इस दौरान भी भाजपा के वकील समय बढ़ाने की मांग करते रहे।
सफल रही कांग्रेस-जेडीएस की रणनीति
कांग्रेस और जेडीएस ने भाजपा से अपने विधायकों को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। उन्हें पिछले चार दिनों से कड़ी निगरानी में रखा। यहां तक कि उनको जोड़-तोड़ से बचाने के लिए हैदराबाद ले जाना पड़ा था। परीणाम आने के बाद 24 घंटे के अंदर ही कांग्रेस ने अपने विधायकों से दस्तखत करा लिए। फिर रातोंरात कांग्रेस ने अपने विधायकों को बस के जरिए हैदराबाद पहुंचाया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दूसरे दिन ही उन विधायकों को हैदराबाद से फिर बेंगलूरू वापस लाया गया।
येदियुरप्पा एंड संस पर ऑडियो वार
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटे विजयेन्द्र येदियुरप्पा पर ऑडियो वार किया। कांग्रेस की ओर से तीन ऑडियो क्लिप जारी किए गए जिसमें दो ऑडियो क्लिप के आधार पर येदियुरप्पा और उनके बेटे पर गंभीर आरोप लगाए गए। कथित तौर पर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा कांग्रेस विधायक बीसी पाटिल को भाजपा के पक्ष में वोट करने के लिए लालच दे रहे हैं। कथित ऑडियो टेप में येदियुरप्पा, बीसी पाटिल को कह रहे हैं कि '' कोच्चि मत जाइए, हम आपको मंत्री बना देंगे और आप जो चाहते हैं, हर तरह से हम आपकी मदद करेंगे। इस पर पाटिल कहते हैं कि ठीक है, लेकिन इसके आगे क्या।
वहीं, उनके बेटे विजयेंद्र येदियुरप्पा और कांग्रेस विधायक श्रीराम हेब्बर की पत्नी के बीच की बातचीत कथित तौर पर रिकॉर्ड है। इस ऑडियो में विजयेंद्र येदियुरप्पा कांग्रेस विधायक की पत्नी को लालच देते हुए सुने जा सकते हैं।