पश्चिम बंगाल विधानसभा के सियासी घमासान में लेफ्ट, कांग्रेस और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंड (आईएसएफ) ने बीजेपी और टीएमसी से खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने की घोषणा की है। कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में इस सियासी घमासान का शंखनाद किया गया है।
कांग्रेस और लेफ्ट ने चुनाव के पहले एक बार फिर से एकजुट होकर जनता के विश्वास की जीतने की कोशिश कर रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस और लेफ्ट का पीरजादा की पार्टी के साथ गठबंधन के बाद उन्हें सीटों पर बढ़त नजर आ रही है और वे फिर से वापसी की कोशिश कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-लेफ्ट को मात्र दो सीटें मिली थीं। पार्टियां को उम्मीद है कि उन्हें आईएसएफ के समर्थन से कम से कम वे सीटें वापस मिल जाएंगीं।, जो उन्होंने बीते कुछ वर्षों में खोई।
राज्य के सबसे प्रमुख वाम नेताओं में से एक, माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य एम डी सलीम ने कहा कि टीएमसी ने पिछले 10 वर्षों में राज्य में रोजगार सृजन के लिए कुछ भी नहीं किया और न ही भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र ने पिछले सात वर्षों में बंगाल में कोई निवेश लाया। हालांकि, इस गठबंधन में अभी भी गड़बड़ दिखाई दे रही है, क्योंकि आईएसएफ की कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे के सौदे को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है और सिद्दीकी ने इस मुद्दे को संबोधित करते हुए, केवल वाम उम्मीदवारों के लिए लोगों का समर्थन मांगा।
उन्होंने रैली स्थल पर पत्रकारों से अलग से कहा कि कांग्रेस को सीट बंटवारे के समझौते को अंतिम रूप देना चाहिए, क्योंकि समय हाथ से निकल रहा है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, "मुझे जानकारी है कि सोनिया गांधी सहमत हैं लेकिन राज्य के कुछ नेता (कांग्रेस के) रुकावट पैदा कर रहे हैं।" सलीम ने कहा, "भाजपा टीएमसी के सभी चोरों और जबरन वसूली करने वालों को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली को खत्म करने का वादा कर रही है।"
मंच पर माकपा के अखिल भारतीय महासचिव सीताराम येचुरी, कांग्रेस के लोकसभा नेता और बंगाल इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मौजूद थे।
चौधरी ने कहा, "हमें बंगाल में सांप्रदायिक भाजपा की आक्रामकता का विरोध करना चाहिए और निरंकुश टीएमसी के कुशासन को समाप्त करना चाहिए।"