त्रिपुरा में 25 सालों से सत्ता पर काबिज वाम सरकार की करारी हार ने लोगों को हैरान कर दिया है। चुनाव के नतीजों में भाजपा ने यहां बड़ी जीत हासिल की। जबकि इतने वर्षों से वाम का गढ़ माने जाने वाले त्रिपुरा में लेफ्ट सिमट कर रह गया। इस वाकये को लेकर सियासी गलियारों में विमर्श तेज है। अब कांग्रेस नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने वाम के इस हार पर चिंता जताई है।
जयराम रमेश ने कहा कि वाम को भारत में मजबूत होना चाहिए, वामपंथ का मिटना भारत के लिए एक आपदा साबित होगा।
उन्होंने कहा, “हम राजनीतिक प्रतिद्वंदी हैं लेकिन मैं सबसे पहले यह कह रहा हूं कि भारत वामपंथियों के खत्म होने का सामना नहीं कर सकता। वामपंथियों को भी अपना मन बदलना होगा, लोगों की आकांक्षाएं और समाज बदल रहा है।”
Left has to be strong in India, the demise of Left will be a disaster for India.We are political rivals but I am the first to say that India can't afford demise of the Left.The Left also has to change its mind,people's aspirations and society are changing: Jairam Ramesh,Congress pic.twitter.com/HPCfCuV2nz
— ANI (@ANI) March 5, 2018
बता दें कि भाजपा और उसकी गठबंधन पार्टी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों पर हुए चुनाव में 43 सीटें हासिल कर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई वाली वाममोर्चा की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया।
भाजपा ने 35 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि आईपीएफटी की झोली में आठ सीटें आई हैं। जबकि 2013 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को त्रिपुरा में एक भी सीट नहीं मिली थी और कुल मतों का सिर्फ 1.5 प्रतिशत वोट भाजपा को मिले थे। जबकि इस चुनाव में भाजपा को 43 फीसदी मत मिले हैं। वहीं, आईपीएफटी को 7.5 फीसदी वोट मिले हैं।
सत्ता में रही माकपा को 42.8 प्रतिशत मतों के साथ 16 सीटों पर जीत मिली है। वाम मोर्चे को पिछले चुनाव में 50 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 10 सीट कांग्रेस के खाते में गई थीं। कांग्रेस को इस बार महज 1.8 फीसदी वोट मिले हैं जबकि पार्टी जीत का खाता भी नहीं खोल पाई है।