मध्य प्रदेश भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया का स्वागत बड़े धूमधाम से किया गया था। यह माना जा रहा था कि वे प्रदेश में सत्ता के नये केन्द्र के रूप में काम करेंगे, किन्तु हकीकत में ऐसा दिखता नहीं है। प्रदेश में उनकी स्थिति काफी कमजोर नजर आ रही है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश भाजपा की 32 लोगों की नई कार्यकारिणी में उनकी पसंद का केवल एक नाम है।
मध्य प्रदेश में उपचुनाव परिणाम आने के बाद से ही नई टीम बनाने को लेकर मंथन चल रहा था। सिंधिया की ओर से भी दबाव था कि टीम में उनके समर्थकों को जगह दी जाये किन्तु प्रदेश अध्यक्ष ने उनकी बात को नकार दिया। दिल्ली ने भी शर्मा का समर्थन किया और उनको अपनी टीम बनाने को लेकर फ्री हैंड दे दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी सिंधिया के पक्ष में अपनी बात कह रहे थे किन्तु इस मामले में उनकी भी नहीं सुनी गई। भाजपा की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि सरकार में उनकी मांग के अनुसार मंत्री बना दिये गये है अब पार्टी संगठन में उनके समर्थकों को जगह नहीं दी जायेगी। काफी प्रयास के बाद सिंधिया केवल एक नाम को जगह दिला पाये। नई टीम में पूर्व विधायक मदन कुशवाह ही उनकी पसंद का नाम है। इसके अलावा पूरी कार्यकारिणी में चार नामों को छोड़कर सभी लोग नये रखे गये है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सिंधिया को पार्टी स्तर पर ज्यादा भाव नहीं दिया जा रहा है। उनके पक्ष में एक स्तर तक केवल शिवराज सिंह ही बात करते है।
पिछले वर्ष फरवरी में अध्यक्ष बनने के बाद बी डी शर्मा ने अपनी नई टीम बनाने में ग्यारह महीने लगा दिये। इस लंबे इंतजार की मूल वजह ही ज्योतिरादित्य सिंधिया थे। उनके भाजपा में आने के बाद उपचुनाव तय हो गये थे। सिंधिया समर्थकों का उपयोग उपचुनाव में किया जाना था। यदि प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा चुनाव से पहले की जाती थी तो उनमें असंतोष होना स्वाभाविक था, जिसका चुनाव में नुकसान हो सकता था। इसको देखते हुए नई टीम बनाने में बी डी शर्मा ने इतना लंबा समय लिया है।