महाराष्ट्र में इस वक्त महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की अगुवाई वाली उद्धव ठाकरे की सरकार है, जिसमें तीन घटक दल- शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी है। लेकिन, जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की बैठक हुई है, उसके बाद से राज्य की सियासी हलचल कई करवट लेती नजर आ रही है। एक तरफ कांग्रेस अगले चुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान कर चुकी है। वहीं, दूसरी तरफ अब शिवसेना विधायक ने उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कहा है कि एनसीपी-कांग्रेस को छोड़ शिवसेना भाजपा संग सरकार बनाए। ये मांग शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक ने पत्र के माध्यम से की है। इस पर भाजपा की तरफ से भी प्रतिक्रिया आ गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि पार्टी सोच सकती है यदि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे विचार करते हैं।
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दरअसल, महाराष्ट्र की राजनीति फिर से सुर्खियों में है। एक तरफ कांग्रेस का कहना है कि ये गठबंधन पांच साल के लिए है हमेशा के लिए, या स्थाई नहीं है।
ये बयान उद्धव ठाकरे के उस बयान के बाद आया है, जब ठाकरे ने शनिवार को कहा था कि लोग उन लोगों को "जूते से पीटेंगे" जो केवल लोगों की समस्याओं का समाधान किए बिना अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। सियासी हलचल के बीच रविवार को राज्य के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है, "हमने भाजपा को रोकने के लिए पांच साल के लिए महा विकास अघाड़ी (एमवीए-इन 2019) का गठन किया था। यह स्थायी नहीं है। हर पार्टी को अपने संगठन को मजबूत करने का अधिकार है और कांग्रेस ने हमेशा कोरोना में राहत प्रदान करने को प्राथमिकता दी है।“
शिवसेना के जिस विधायक प्रताप सरनाइक ने गठबंधन किए जाने की मांग की है वो प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर हैं। उनके पत्र ने महाराष्ट्र की राजनीतिक में नया उबाल ला दिया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थी। लेकिन, गठबंधन नहीं बन पाने के कारण भाजपा सत्ता में फिर से वापसी करने में नाकाम हो गई थी। जिसके बाद भाजपा के खिलाफ इन तीन दलों ने गठबंधन कर सरकार बनाई थी। राज्य विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। यदि एनसीपी-कांग्रेस से रिश्ता तोड़ शिवसेना भाजपा संग सरकार बनाती है तो जरूरत 145 सीटों की होगी जबकि दोनों को मिलाकर कुल 161 विधायक हैं।