एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना सरकार पर संकट गहराया हुआ है। शुक्रवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मातोश्री जाकर सीएम उद्वव ठाकरे से मुलाकात की। करीब दो घंटे चली बैठक में सरकार के संकट पर मंथन हुआ। माना जा रहा है कि एक बार फिर सियासी संकट के शरद पवार तारणहार बनेंगे। बैठक में डिप्टी सीएम अजीत पवार और एऩसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल भी थे।
सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा संकट से निकालने के लिए राजनीति के माहिर खिलाड़ी पवार ने मास्टर प्लान तैयार किया है जिस पर दोनों नेताओं के बीच मंथन हुआ। बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद राज्य में सरकार बनाने के लिए ठाकरे ने पवार से मदद ली थी। एक बार जब सरकार संकट में है तो पवार फिर से उनकी मदद के लिए खड़े हैं।
कहा जा रहा है कि योजना के तहत बागी विधायकों को बर्खास्त किया जा सकता है जिसके तहत विधानसभा उपाध्यक्ष को 16 विधायकों की सूची भेजी गई है। पवार पूरे मामले को कानूनी दांवपेंच में उलझाना चाहते हैं ताकि विरोधी कोर्ट का सहारा लें। ताकि शिंदे गुट का मनोबल टूट जाए और नाराज विधायकों को पाला बदलने के लिए विवश किया जा सके।
महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी को विधानसभा सचिवालय ने मौजूदा राजनीतिक संकट पर कानूनी राय लेने के लिए बुलाया है, जिसमें 16 बागी विधायकों की अयोग्यता शामिल है, जैसा कि शिवसेना ने अनुरोध किया था। पवार पहले ही कह चुके हैं कि फ्लोट टेस्ट से ही बहुमत साबित करना होगा। अगर शिंदे गुट के ज्यादा से ज्यादा विधायक अयोग्य होंगे तो बहुमत का आंकड़ा भी कम हो जाएगा और अघाड़ी सरकार बचाई जा सकेगी। वहीं शिंदे गुट भी कानूनी पहलुओं पर राय ले रहा है। दोनों गुट एक दूसरे को शिकस्त करने की एक चाल को अमली जामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं।