शर्मा ने कहा, यहां किसी भी क्षेत्र के विकास का रोडमैप तैयार नहीं है। इसलिए एक से शुरुआत करनी पड़ेगी। देश में जितने भी धर्म हैं, उनकी आस्था के केंद्रों पर जाएं। हर जगह विश्व स्तरीय सुविधाएं मिलेंगी। तो हमारे यहां क्यों नहीं।
उन्होंने अपनी बात की पुष्टि के लिए दुनिया के दो सर्वाधिक प्रसार वाले शहरों वेटिकन सिटी एवं मक्का-मदीना का उदाहरण भी दिया। अगर हमारी सोच सही है तो जैसी सुविधाएं वहां के आम नागरिकों तथा पर्यटकों को मिलती हैं, वैसी मथुरा-वृन्दावन में भी उपलब्ध कराई जा सकती हैं।
उन्होंने यमुना प्रदूषण के विषय पर कहा, इस मुद्दे पर जब-जब केंद्र में बैठक हुई अखिलेश सरकार ने निम्नस्तरीय अधिकारियों को भेजकर खानापूर्ति कर ली। इसे गंभीरता से नहीं लिया। केवल टालते रहे। लेकिन अब यदि केंद्र व प्रदेश में एक ही दल की सरकार होगी तो इस मसले को तेजी से सुलझाया जाएगा।
शर्मा ने कहा, अफसोस है कि पिछले 15 वर्षों से लगातार विधायक रहे व्यक्ति ने मथुरा के विकास के लिए कोई योजना ही नहीं बनाई। जिसके चलते यहां योजना का विकास नहीं हुआ। केवल चुनाव आने से पहले नारियल फोड़कर कुछ अस्थाई कार्य जरूर करा दिए जाते हैं। जो बाद में जल्द समाप्त हो जाते हैं।
उन्होंने पार्टी के लोक कल्याण संकल्प पत्र से इतर मथुरा और वृन्दावन के विकास का 14 सूत्रीय एक नया दृष्टि पत्र पेश करते हुए कहा, 60 वर्षों में यहां की सरकारों ने मथुरा को न तो पीने का साफ पानी दिया और न ही कालोनियों में घर के बाहर जमे गंदे पानी से निजात दिलाई। मथुरा को एक बहुमुखी विकास की आवश्यकता है और यदि भाजपा सत्ता में आती है, तो वह ऐसा करके दिखाएगी। भाषा