मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद निलंबित राज्य विधानसभा को जमीनी स्थिति के आधार पर भविष्य में किसी भी दिन बहाल किया जा सकता है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के भाजपा प्रभारी संबित पात्रा ने ‘पीटीआई-’ से कहा कि उनकी पार्टी राज्य में शांति और स्थिति को सामान्य बनाए रखने के मकसद से निरंतर प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है। मेइती और कुकी समुदाय के बीच महीनों से जारी हिंसा से प्रभावित मणिपुर में जातीय आधार पर ध्रुवीकरण हुआ है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा को भंग नहीं किया गया है, बल्कि उसे निलंबित रखा गया है, जिसका अर्थ है कि नयी राज्य सरकार के गठन की संभावना बनी हुई है।
भाजपा को विधानसभा में अब भी बहुमत प्राप्त है, लेकिन जातीय मतभेद बढ़ने के कारण कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले एन. बीरेन सिंह के स्थान पर पार्टी को सर्वसम्मति वाले उम्मीदवार की तलाश है।
पुरी के सांसद ने कहा, ‘‘मैं दोहराता हूं कि जहां तक मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता का सवाल है, इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।’’
कुछ कुकी समूहों द्वारा पृथक राज्य की मांग के मद्देनजर पात्रा द्वारा भाजपा के रुख पर पुनः जोर देने से बहुसंख्यक मेइती समुदाय को राहत मिलेगी। मेइती समुदाय कथित जनसांख्यिकीय असंतुलन सहित कई मुद्दों पर चिंता जताते रहे हैं और मणिपुर के किसी भी विभाजन का पुरजोर विरोध करते हैं।
भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे सिंह ने लगभग 21 महीने की जातीय हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2027 में समाप्त होगा।