जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के बाद सूबे के राजनीतिक भविष्य को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। लेकिन फिलहाल सरकार और विपक्षी दलों के बीच एक बात पर पेंच फंसती दिख रही है। दरअसल सरकार का कहना है कि पहले परिसीमन और चुनाव होने दें उसके बाद पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। जबकि विपक्षी दल के नेता इसके विपरीत पहले पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद भी इसी बात पर जोर दे रहे हैं। अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी बात को कितना तवज्जो देते हैं।
प्रधानमंत्री के आवास पर हुई बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने कहा, ‘‘इस बैठक में हमने 5 मुद्दे उठाए हैं। पहला यह कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। दूसरा, वहां चुनाव कराये जाएं।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में बहुत लंबे वक्त से राज्य के डोमेसाइल के नियम रहे हैं। हमारा यह कहना है कि केंद्र सरकार को गारंटी देनी चाहिए कि जमीन एवं रोजगार को लेकर डोमेसाइल होगा।’’
गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘‘कश्मीरी पंडित पिछले तीन दशक से बाहर हैं। यह जम्मू-कश्मीर के हर नेता का मौलिक कर्तव्य है कि कश्मीर के पंडितों की वापसी हो। हमसे जो हो सकेगा हम उसमें मदद करेंगे।’’ उन्होंने बताया, ‘‘ पांच अगस्त, 2019 के फैसले के बाद जिन राजनीतिक लोगों को बंदी बनाया गया था, उनको सबको रिहा कर दिया जाना चाहिए। यह मांग भी हमने की है।’’
कांग्रेस नेता के अनुसार, ‘‘ गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए वचनबद्ध हैं, लेकिन पहले परिसीमन होने दीजिए। परिसीमन के बाद चुनाव भी होंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।’’
एक प्रश्न के उत्तर में आजाद ने कहा, ‘‘हम संतुष्ट उस दिन हो जाएंगे जब चुनाव हो जाएंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि चुनाव कराना है, लोकतंत्र बहाल करना है तो यह जल्द होना चाहिए। हम चाहते हैं कि लोकतंत्र बहाल होना चाहिए...हम नौकरशाही के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमने कहा कि नौकरशाही नेताओं का स्थान नहीं ले सकती। जिस तरह नेता लोगों से मिलता है, उस तरह से अधिकारी नहीं मिल सकते।’’