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राफेल डील पर घिरी मोदी सरकार, कांग्रेस ने लगाई सवालों की झड़ी

राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष समेत पार्टी के कई बड़े नेता...
राफेल डील पर घिरी मोदी सरकार, कांग्रेस ने लगाई सवालों की झड़ी

राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष समेत पार्टी के कई बड़े नेता इस डील पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए फ्रांस के साथ हुई राफेल डील को लेकर आरोप लगाया है कि मोदी इस डील को करने के लिए निजी तौर पर पेरिस गए थे और वहीं, पर राफेल डील हो गई और किसी को इस बात की खबर तक नहीं लगी।

बता दें कि सोमवार को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा था कि राफेल सौदा दो देशों की सरकारों के बीच का सौदा है। इससे संबंधित जानकारी प्रकट नहीं की जा सकती है। इसके साथ ही सीतारमण ने ये भी कहा था कि इस सौदे में कोई भी सार्वजनिक या निजी कंपनी शामिल नहीं है।

इसके बाद ही राहुल गांधी ने कहा कि अगर रक्षा मंत्री राफेल खरीद में खर्च हुए पैसे का ब्यौरा नहीं देती हैं, तो इसका मतलब क्या है? इसका एक ही मतलब है कि ये एक घोटाला है। मोदी जी पैरिस गए थे। उन्होंने डील बदल दी। सारा देश ये बात जानता है।

इधर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी राफेल डील को लेकर सरकार पर सवालों की बौछार कर दी। रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी और सरकार से कई सवाल दागे-


#क्या मोदी सरकार बताएगी कि 36 राफेल लड़ाकू जहाजों की खरीद कीमत क्या है? प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री लड़ाकू जहाजों की खरीद कीमत बताने से क्यों बच रहे हैं?

#क्या ये सही है कि यूपीए द्वारा खरीदे जाने वाले एक जहाज की कीमत 526.1 करोड़ रुपये आती, जबकि मोदी सरकार द्वारा खरीदे जाने वाले एक जहाज की कीमत 1570.8 करोड़ आएगी? अगर ये सही है, तो राजस्व को हुई हानि का कौन जिम्मेदार है?

#क्या ये सही है कि डसॉल्ट ने नवंबर 2017 में 12 राफेल लड़ाकू जहाज एक अन्य देश कतर को प्रति जहाज 694.80 करोड़ में बेचे हैं? क्या कारण है कि #कतर को बेचे जाने वाले राफेल लड़ाकू जहाज की कीमत भारत को बेचे जाने वाले लड़ाकू जहाज से 100% कम है?

#प्रधानमंत्री ने फ्रांस में निर्मित 36 रफैल लड़ाकू जहाजों को खरीदने का एकछत्र निर्णय कैसे लिया, जबकि डिफेंस प्राक्योरमेंट प्रोसीज़र के अनुरूप यह संभव नहीं?

#क्या यह सही है कि 36 राफेल विमानों की खरीद करने की घोषणा के दिन यानि 10 अप्रैल, 2015 को न तो ‘कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी’ की मंजूरी ली गई थी और न ही अनिवार्य ‘डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीज़र, 2013’ की अनुपालना की गई थी?

#जब भारत सरकार की ‘कॉन्ट्रैक्ट नेगोसिएशन कमेटी’ व ‘प्राईस नेगोसिएशन कमेटी’ द्वारा इस खरीद की अनुमति नहीं थी, तो प्रधानमंत्री 10 अप्रैल, 2015 को ऐसा एकछत्र निर्णय कैसे ले सकते थे?

#प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल, 2015 को 36 राफेल विमान खरीदने का निर्णय लेने से पहले नियमानुसार ‘कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी’ से अनुमति क्यों नहीं ली?

#8 अप्रैल, 2015 को विदेश सचिव ने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान राफेल जहाज खरीदने बारे कोई प्रस्ताव नहीं है?

#क्या प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी देश को बताएंगे कि 8 अप्रैल, 2015 से 10 अप्रैल, 2015 के बीच 48 घंटों में ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने आनन-फानन में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू जहाज खरीदने की घोषणा कर डाली?

#मोदी सरकार ने 36 हजार करोड़ रुपये के रक्षा सौदे में भारत सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को दरकिनार क्यों किया, जबकि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और राफेल डसॉल्ट एविएशन के बीच 13 मार्च 2014 को वर्क-शेयर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए जा चुके थे?

#क्या ये सच नहीं कि HAL एकमात्र भारतीय कंपनी है, जिसे लड़ाकू जहाज बनाने में दशकों का अनुभव है? अगर यह सच है तो एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए HAL को दरकिनार क्यों किया गया?

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