राफेल सौदे को लेकर एक बार फिर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता एके एंटनी ने कहा कि राफेल सौदे में मोदी सरकार देश की सुरक्षा के साथ समझौता करने की दोषी है।
मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेस में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार लगातार कहती आ रही है कि उसने सस्ते में राफेल सौदा किया है, अगर यह बात सही है तो फिर उसने सिर्फ 36 विमान ही क्यों खरीदे? कानून मंत्री ने दावा किया कि नये समझौते में विमान यूपीए सौदे से 9 फीसदी सस्ता है। वित्त मंत्री ने कहा 20 फीसदी और भारतीय वायुसेना के अधिकारी ने यह 40 फीसदी सस्ता बताया है।
पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी मांग पहले दिन से साफ हैं कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) इस मामले की जांच करे। सीवीसी का संवैधानिक दायित्व है कि वो पूरे मामले के कागजात मंगवाएं और जांच कर पूरे मामले की जानकारी संसद में रखें।
जरूरत 126 की तो फिर 36 क्यों खरीदे
एंटनी ने कहा कि वायुसेना ने वर्ष 2000 में 126 विमानों की जरुरत बताई थी। सीमावर्ती देशों की तरफ से खतरा तब से अब और बढ़ा है। मौजूदा स्थिति के अनुसार वायुसेना को जल्द से जल्द 126 से ज्यादा हवाई जहाजों की जरुरत है। पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि जब भारतीय वायुसेना ने 126 एयरक्राफ्ट की मांग की तो फिर इनकी संख्या कम करके 36 करने के लिए किसने प्रधानमंत्री को अधिकृत किया? उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का कार्यकाल खत्म होने से पहले बातचीत लगभग पूरी हो चुकी थी। एनडीए के सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने 10 अप्रैल, 2015 को 36 एयरक्राफ्टों की एकतरफा खरीद की घोषणा की।
एचएएल का गंवाया मौका
अगर यूपीए का सौदा रद्द नहीं किया गया होता, तो एचएएल को टेक्नोलॉजी ट्रांसर्फर के जरिये अति आधुनिक टेक्नोलॉजी मिलती। उसको लड़ाकू विमानों के निर्माण का अनुभव होता। भारत ने ये मौका खो दिया। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने दावा किया कि एचएएल इन विमानों का निर्माण करने में सक्षम नहीं है। सच तो ये है कि एचएएल ऐसा करने वाली एकमात्र एयरोस्पेस कंपनी है। इसे नवरत्न के दर्जे से सम्मानित किया गया था। एचएएल ने सुखोई-30 सहित 31 तरह के 4660 विमानों का निर्माण किया है। यूपीए शासनकाल के दौरान एचएएल मुनाफा कमाने वाली कंपनी थी। मोदी सरकार के समय इतिहास में पहली बार एचएएल ने विभिन्न बैंकों से लगभग एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।
राफेल पर सुनवाई टली
वहीं, राफेल सौदे पर रोक लगाने की मांग करने वाले याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर तक सुनवाई स्थगित कर दी है। जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि उन्हें इस मामले में कुछ और दस्तावेज पेश करने के लिए वक्त चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। याचिका के अनुसार, दूसरे देशों के मुकाबले भारत को ये विमान काफी ज्यादा कीमत में बेचने का करार हुआ है। ऐसे में सरकार ने देश के खजाने को नुकसान और अपने चहेतों और उनकी कंपनियों के हितों को लाभ पहुंचाया है। याचिका में विमानों के सौदे को लेकर किए गए करार को रद्द करने की मांग की गई है।