कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि मोदी सरकार की “प्रतिगामी नीतियों” ने भारत में निवेशकों का भरोसा तोड़ दिया है और व्यापार करने में आसानी (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) को "व्यापार करने में असुविधा" (अनईज ऑफ डूइंग बिजनेस) में बदल दिया है।
केंद्रीय बजट से पहले विपक्षी दल ने कहा कि इसे ठीक करने के लिए आगामी बजट में "छापेमारी राज और कर आतंक" को खत्म करना होगा।
पार्टी ने सरकार से भारतीय विनिर्माण नौकरियों की रक्षा के लिए कदम उठाने और मजदूरी व क्रय शक्ति को बढ़ाने के लिए निर्णायक कार्रवाई करने का भी आह्वान किया।
कांग्रेस महासचिव, प्रभारी संचार, जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार लंबे समय से भारत में "व्यापार करने में आसानी" में सुधार की इच्छा को लेकर ढिंढोरा पीटती रही है, लेकिन पिछले एक दशक में निजी निवेश में कमी ही देखने को मिली है।
उन्होंने कहा कि निजी निवेश रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया है और बड़ी संख्या में उद्योगपति भारत छोड़कर विदेश चले गए हैं।
उन्होंने एक बयान में कहा, “जीएसटी और आयकर को मिलाकर बनने वाली पेचीदा, दंडात्मक, और मनमानी कर व्यवस्था भारत की समृद्धि के लिए खतरा बनी हुई है। यह पूरी तरह कर आतंक जैसा है। इससे ‘व्यापार करने में आसानी’ की जगह ‘व्यापार करने में असुविधा’ को बढ़ावा मिल रहा है।”
रमेश ने कहा कि निवेश का सबसे बड़ा घटक - निजी घरेलू निवेश 2014 से कमजोर रहा है, तथा प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान यह सकल घरेलू उत्पाद के 25-30 प्रतिशत के दायरे में रहा।
उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में यह गिरकर जीडीपी के 20-25 प्रतिशत के दायरे में आ गया है। निवेश में सुस्ती के साथ साथ उच्च नेटवर्थ वाले लोगों का बड़े पैमाने पर पलायन भी हुआ है। पिछले एक दशक में 17.5 लाख से अधिक लोगों ने दूसरे देश की नागरिकता ली है।”
रमेश ने कहा, " प्रतिगामी नीतियों ने भारत में निवेशकों का विश्वास तोड़ दिया है। इसे ठीक करने के लिए बजट में छापेमारी राज और कर आतंक को खत्म करना होगा, भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों की रक्षा और वेतन तथा क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए निर्णायक कदम उठाने होंगे, जिससे भारतीय कारोबारियों को निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इससे कम कुछ भी नहीं चलेगा।"