मंगलवार को भागलपुर में नरेंद्र मोदी ने नीतीश के पैकेज को लेकर सवाल खड़ा किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वित्त आयोग की सिफारिश पर केंद्र सरकार अगले पांच साल में बिहार को 3.74 लाख करोड़ रूपये देने वाली है। जबकि नीतीश कुमार केवल 2.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दे रहे हैं तो बाकी का पैसा कहां जाएगा। मोदी ने व्यंग्य करते हुए कहा कि जिस पैसे का हिसाब नहीं हो रहा वह चारे में जाएगा क्या। मोदी लालू यादव और नीतीश कुमार के खिलाफ बोल तो रहे थे लेकिन बदले हुए अंदाज में।
इसलिए डीएनए का मुद्दा उठाने के बाद मोदी ने कहा कि बिहार के लोग हिंदुस्तान में सबसे तेज बुद्धि वाले होते हैं। गौरतलब है कि इससे पहले मोदी ने डीएनए को लेकर सवाल उठाया था जिसे विरोधियों ने मुद्दा बना लिया और इसे बिहार के स्वाभिमान के साथ जोड़ दिया। लेकिन इस बार मोदी ने डीएनए को लेकर कोई चर्चा नहीं की। दो दिन पहले ही राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस ने एक साथ मंच साझा कर स्वाभिमान रैली का आयोजन किया था जिसमें मोदी पर जमकर निशाना साधा गया।
परिवर्तन रैली के आखिरी चरण में मोदी ने लालू और नीतीश के कार्यकाल पर निशाना साधा। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के सवाल उठाए। मोदी ने कहा कि अगर बिहार में रोजगार मिलता तो यहां की जनता को बाहर क्यों जाना पड़ता। मोदी ने बिहार के विकास को लेकर कई सवाल उठाए और पैकेज की चर्चा करते रहे। अब पैकेज को लेकर शुरू हुई सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार के चुनाव में केंद्र का पैकेज बड़ा मुद्दा बनेगा। क्योंकि जिस तरह से केंद्र और राज्य सरकार पैकेज को लेकर आमने-सामने है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी तो यह शुरूआत है इसमें कई मुद्दे निकलकर सामने आएंगे। क्योंकि केंद्र सरकार के मंत्री लगातार बिहार में दौरों के दौरान पैकेज को लेकर नीतीश सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।