गोहिल ने कहा कि सीएजी ने इस बात की पोल खोली है कि अपने मुख्यमंत्रित्व काल में नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2009 में स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम की शुरुआत की थी और इसके तहत हर वर्ष 4.75 लाख युवाओं को ट्रेनिंग देकर रोजगार दिलाने का लक्ष्य रखा गया था मगर वर्ष 2015 तक इस कार्यक्रम के तहत सिर्फ 1185 लोगों को नौकरी मिली। सीएजी ने यह भी पाया कि इन 1185 लोगों में भी कई नाम दो बार हैं। इसी प्रकार सीएजी ने अहमदाबाद मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर भी गुजरात सरकार की खिंचाई की है। रिपोर्ट में कहा गया है यूं तो जयपुर मेट्रो की अनुमति अहमदाबाद के बाद मिली थी मगर जयपुर परियोजना शुरू भी हो गई जबकि अहमदाबाद-गांधीनगर मेट्रोलिंक भ्रष्टाचार में फंसी है। सरकार ने इंद्रोदा, चिलोदा और मोटेरा में मेट्रो का काम शुरू करवा दिया और 337.62 करोड़ खर्च कर दिए मगर बाद में पता चला कि काम की अनुमति ही नहीं ली गई है। गोहिल ने कहा कि यह सारा पैसा बर्बाद हो गया। गोहिल ने कहा कि एक समय गुजरात की स्वास्थ्य सेवा शानदार थी मगर अब जिला स्तरीय ईकाइयों में डॉक्टरों की कमी 77 फीसदी तक पहुंच गई है।
मीडिया से बात करते हुए गोहिल ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट में हुए खुलासों पर किसी भी बहस से बचने के लिए गुजरात की आनंदी बेन पटेल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इसे बजट सत्र के आखिरी दिन पेश किया और वह भी कांग्रेस के विधायकों को सदन से निलंबित करने के बाद। उन्होंने आरोप लगाया के भाजपा सरकार स्थापित संसदीय परंपराओं को व्यवस्थित तरीके से चोट पहुंचाने में जुटी है। गोहिल का कहना था कि इस रिपोर्ट को सत्र के आरंभ में ही सदन में पेश किया जाना चाहिए था ताकि सदस्य इसपर बहस कर पाते।
कांग्रेस प्रवक्ता ने राज्य सरकार की अक्षमता का उदाहरण देते कहा कि सरकारी कंपनी गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड ने केजी बेसिन में तेल-गैस क्षेत्र के विकास पर 19,576 करोड़ रुपये खर्च किए मगर वहां से एक बूंद भी तेल-गैस हासिल नहीं पाई। इसी प्रकार कंपनी ने विदेशों में तेल-गैस के 10 ब्लॉकों पर 1757.46 करोड़ रुपये खर्च किए और इसकी 99 फीसदी राशि गंवा दी। गोहिल ने आरोप लगाया कि सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य की पुलिस के पास हथियार, गोलियों और गाड़ियों की भारी कमी है जबकि भाजपा के नेता भारी सुरक्षा के साथ चलते हैं। गुजरात जैसे एक सीमावर्ती राज्य के लिहाज से यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा नेता जनता के बदले सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं।
कांग्रेस विधायक ने कहा कि सीएजी ने इस मुद्दे को उठाया है कि सरकार धनराशि खर्च करने का प्रमाणपत्र जमा करने में विफल रही है। वर्ष 2014-15 में 8160.78 करोड़ रुपये की धनराशि का यूटलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा नहीं किया गया है।