Advertisement

देंग से मिलने की नरसिंह राव की हसरत दिल में ही रह गई थी

ये तो सभी जानते हैं कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव और उनके वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की जोड़ी ने देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की और देश को आर्थिक बदहाली से उबार लिया मगर यह बहुत कम लोगों को पता है राव दरअसल चीन के अपने समय के सबसे शक्तिशाली कम्युनिस्ट नेता देंग श्याओ पिंग से बेहद प्रभावित थे और उनसे मिलना चाहते थे मगर राजीव गांधी जब देश के प्रधानमंत्री थे तो राव को विदेश मंत्री होने के बावजूद अपने साथ चीन नहीं ले गए।
देंग से मिलने की नरसिंह राव की हसरत दिल में ही रह गई थी

यह खुलासा विनय सीतापति ने अपनी किताब हाफ लायन में किया है जो नरसिंह राव की जीवनी बताई जा रही है। आउटलुक (अंग्रेजी) से बातचीत में विनय सीतापति ने किताब में लिखे तथ्यों की जानकारी दी है। इसके अनुसार जब राव खुद प्रधानमंत्री बने तो चीन की यात्रा पर गए और वहां उन्होंने देंग से मिलने का अनुरोध किया था मगर तब रिटायरमेंट की जिंदगी जा रहे देंग ने उनसे मिलने में रुचि नहीं दिखाई।

सीतापति ने इस किताब में राव की जिंदगी के ऐसे पहलुओं को भी छुआ है जो अब तक लोगों के सामने नहीं आए हैँ। हालांकि किताब में कुछ विवादित चीजें भी हैँ, मसलन सोनिया की जासूसी के लिए खुफिया ब्यूरो का इस्तेमाल करना। किताब के इन अंशों की जानकारी दिल्ली के एक अंग्रेजी अखबार में छपी है।

सीतापति ने एक दिलचस्प वाकये का जिक्र किया है। इसके अनुसार राजीव गांधी एक बार राव के सामने एक तकनीकविद से कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने के बारे में विचार-विमर्श कर रहे थे। उन्हें लगा कि उनके बुजुर्ग कैबिनेट सहयोगी को कंप्यूटर के बारे में कुछ समझ नहीं आएगा। मगर राव ने बातचीत को गंभीरता से सुना था और घर पहुंचते ही अपने इंजीनियर पुत्र को बुलाकर विदेश से एक कंप्यूटर मंगवाने का निर्देश दिया। कंप्यूटर आने के बाद राव ने एक शिक्षक की मदद से उसका प्रशिक्षण लिया। बाद में शिक्षक के बगैर ही उन्होंने उसमें दक्षता हासिल की। सीतापति के अनुसार सीखने की यह क्षमता ही थी जिसके कारण वह 13 भाषाओं के पारंगत हो सके।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad