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चार नौजवानों की नारेबाजी से नहीं टूटता है देश: आजाद

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को धर्मनिरपेक्षता को जिंदा रखने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि कुछ नौजवानों की नारेबाजी से नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की ओर से विवाद पैदा करने से देश टूटता है।
चार नौजवानों की नारेबाजी से नहीं टूटता है देश: आजाद

दिल्ली स्थित कंस्टीच्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में राजीव गांधी स्टडी सर्किल के तत्वाधान में ‘जर्नी ऑफ मॉडर्न इंडिया’ शीर्षक से आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आजाद ने सत्ताधारी पार्टी पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि वोट बैंक की राजनीति समुदायों को बांट रही है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा, वीडियो से छेड़छाड़ की गई थी या नहीं, मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता। लेकिन यह टूट चार नौजवानों की नारेबाजी की वजह से नहीं पड़ेगी। यदि कुछ नौजवान नारे लगाते हैं कि भारत के टुकड़े होंगे तो ऐसे कोई देश टुकड़े-टुकड़े नहीं हो जाता। आजाद ने कहा, मैंने 50 सालों से ऐसे नारे सुने हैं। कश्मीर अब भी है। उन्हीं छात्रों में से निकलकर बाद में मैं मुख्यमंत्री भी बना। मैंने कश्मीर में यह सब देखा है। आजाद ने कहा कि नारेबाजी करने वाले कुछ लोग तो न्यायाधीश, प्रोफेसर तक बने। वो सुधर गए। ऐसा छात्रों के जीवन में किसी लगाव की तरह होता है। लेकिन देश तब टूट जाता है जब सरकार चलाने वाले विवाद पैदा करने लग जाते हैं।

 

संगोष्ठी में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री ऑस्कर फर्नांडिस, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के महासचिव अशोक गहलोत के अलावा प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब और एक्टिविस्ट और पूर्व डूटा अध्यक्ष प्रो. आदित्य नारायण मिश्र ने भाग लिया। संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए गुलाम नबी आजाद ने अपने वक्तव्य में कहा, ‘वास्तविक अर्थों में नेहरू एक ऐसे दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने आधुनिक भारत का सपना देखा था और ऐसे समय में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय की रक्षा की थी जब देश अपने जटिल दौर से गुजर रहा था। अपने संबोधन में कहा कि राजीव गांधी स्टडी सर्किल के माध्यम से नेहरू के सपनों के भारत का निर्माण किया जा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज विचारों को दबाने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा, हमारे यंग इंडिया में नेहरू गांधी के विचारों का प्रसार किया जाए तो एक अखंड भारत का निर्माण किया जा सकता है। ऑसकर फर्नांडिस ने कहा कि देश 1947 में आजाद हो गया था पर देश को समस्याओं से आजादी आज तक नहीं मिल पाई है। आज देश की समस्याओं से आजादी के लिए संघर्ष करने की आवश्यक्ता है।

 

जाने-माने इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के समय नेहरूजी पर दबाव था कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करें लेकिन उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया और भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग नेहरूजी के विरासत को नहीं मानते उनसे देश को खतरा है। संगोष्ठी में भाग लेते हुए पूर्व डूटा अध्यक्ष प्रो. आदित्य नारायण मिश्र ने कहा कि आज देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं पर जिस तरह से निरंतर हमला किया जा रहा है उससे संघर्ष करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि नेहरू जी एक शिक्षाविद होने के साथ-साथ एक दार्शनिक भी थे इसलिए उनके विचारों को बचाने के लिए इस तरह की संगोष्ठी करने की बहुत ज्यादा आवश्यक्ता है। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि आधुनिक भारत को आगे बढ़ाने में गांधी और नेहरू के विचारों की शक्ति और पवित्रता का अहम योगदान रहा है। उनके विचार देश के लिए थे। संगोष्ठी को प्रो. प्रकाश नारायण, हरिकेश बहादुर, बी. एन शर्मा और सुभाष गर्ग ने भी संबोधित किया। इन वक्ताओं ने नेहरू-गांधी के विचारों को आज के संदर्भ में रेखांकित किया।

 

बता दें कि राजीव गांधी स्टडी सर्किल का गठन वर्तमान समय के प्रश्नों को गांधी दर्शन के आलोक में हल करने की प्रस्तावना के मंच के रूप में है। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं। डॉ. चयनिका और डॉ. सुरेंद्र कुमार ट्रस्ट के दिल्ली कोऑर्डिनेटर हैं। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. लता ने किया। उसके बाद संगोष्ठी के प्रथम सत्र का संचालन डॉ. चयनिका और दूसरे सत्र का संचालन डॉ. सुरेंद्र कुमार ने किया। संगोष्ठी में शोध छात्रों, प्राध्यापकों और बुद्धिजीवियों की भारी संख्या मौजूद थी।

 

 

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