हल्द्वानी में तिवारी, उनकी पत्नी उज्ज्वला और बेटे रोहित शेखर सरकारी अस्पताल की दुर्दशा के खिलाफ कल अपने मुंह पर पट्टी बांधकर अस्पताल के सामने धरने पर बैठ गए। जब तिवारी मुख्यमंत्री थे तब यह अस्पताल बना था और इसका नाम उनकी पत्नी सुशीला तिवारी के नाम पर रखा गया था। मंगलवार को जब तिवारी अपने परिवार के साथ अस्पताल पहुंचे तो वहां कर्मचारियों की भारी कमी और चिकित्सा उपकरणों का अभाव देखकर नाराज हो गए। उन्होंने तत्काल एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया और अस्पताल की बुरी स्थिति के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री इंदिरा ह्रदयेश और हरीशचंद्र दुर्गापाल तिवारी को धरना खत्म करने के लिए मनाने अस्पताल पहुंचे लेकिन वह अपने रूख से नहीं डिगेे। अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ तिवारी के प्रदर्शन से विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय भट्ट को यह आरोप लगाने का मौका मिल गया कि वयोवृद्ध कांग्रेस नेता के मौन प्रदर्शन ने मुख्यमंत्री के राज्य में विकास संबंधी दावे को बेनकाब कर दिया है।
इस बीच, राज्य के मेडिकल शिक्षा मंत्री हरक सिंह रावत ने देहरादून में एक संवाददाता सम्मेलन में डाक्टरों के 35 रिक्त पद भरे जाने की घोषणा की है। तिवारी का 12 घंटे का प्रदर्शन तभी समाप्त हुआ जब रावत ने रात करीब 12 बजे फोन कर तिवारी को आश्वासन दिया कि अस्पताल से संबंधित उनकी सभी शिकायतों का समाधान होगा।