कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को लेकर एनडीए को लगातार सहयोगी दलों की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। सहयोगी दल केंद्र और सत्तारूढ़ भाजपा शासित राज्यों से नाता तोड़ने की धमकी दे रहे हैं। हरियाणा की गठबंधन की सरकार के सहयोगी निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने सत्ता से अपना गठबंधन तोड़ लिया है। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के अध्यक्ष अजय चौटाला ने कहा कि सरकार को इस मसले पर बड़ा सोचना चाहिए और किसानों की मांगों पर कुछ समाधान निकालना चाहिए।
एक दिन पहले केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए सांगवान ने हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने समर्थन वापस ले लिया है। सांगवान को हरियाणा सरकार का समर्थन करने के लिए पखवाड़े पहले ही पशुधन विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था।
सांगवान ने कहा था, ‘किसानों के समर्थन में मैंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पूरे देश की तरह, मेरे विधानसभा क्षेत्र दादरी के किसान भी कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। ऐसे हालात में, उनका पूरा समर्थन करना मेरी प्राथमिकता है और नैतिक कर्तव्य भी है।’
जेजेपी के अध्यक्ष अजय चौटाला ने कहा कि किसानों की मांगों पर केंद्र विचार करे,. जो भी सर्वसम्मत हल हो उसे जल्दी से लागू कर किसानों को परेशानी को दूर किया जाना चाहिए। एमएसपी को एक्ट में शामिल करने पर भी विचार केंद्र सरकार करे।
इससेप पहले केंद्र सरकार में एनडीए का हिस्सा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। आरएलपी के संयोजक और राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने अमित शाह को पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो वे एनडीए में बने रहने पर विचार करेंगे। कृषि कानून के विरोध में शिरोमणि अकाली दल भी सरकार से नाता तोड़ चुका है।