केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सरकार में "सकारात्मक मानसिकता और निर्णय लेने की शक्ति" की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार में पैसे की कोई कमी नहीं है बल्कि सरकार मं फैसले लेने की हिम्मत नहीं है।
नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कहा कहा, "मैं आपको सच बताऊंगा, इस बार मैं बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को आवंटित करना चाहता हूं। पैसे की कोई कमी नहीं है, लेकिन निर्णय लेने की क्षमता की कमी है। जो कुछ कमी है वो सरकार में काम करने वाली मानसिकता की है, जो निगेटिव एटीट्यूड है उसकी है।”
अफसरों पर बिफरे गडकरी
नागपुर से लोकसभा सांसद गडकरी ने कहा कि लोगों को उस क्षेत्र में काम करना चाहिए जहां वे क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा, “परसो मैं एक हाइएस्ट फोरम की बैठक में था। वहां वो (आईएएस अधिकारी) कह रहे थे कि ये शुरू करेंगे-वो शुरू करेंगे, तो मैंने उनको कहा कि आप क्यों शुरू करेंगे? आपकी यदि शुरू करने की ताकत होती तो आप आईएएस ऑफिसर बनके यहां नौकरी क्यों करते?”
वहीं नितिन गडकरी इससे पहले रविवार को छत्रपति नगर के एक ग्राउंड में क्रिकेट भी खेला। उन्होंने शहर के कई ग्राउंड्स का दौरा किया, साथ ही खासदर क्रीड़ा महोत्सव के खिलाड़ियों की हौसला अफजाई भी की। नितिन गडकरी ने एक ट्वीट में कहा कि मैंने शहर की कई जगहों पर खिलाड़ियों के साथ अच्छा वक्त बिताया। छत्रपति नगर में, मैं खुद को खिलाड़ियों के साथ खेलने से नहीं रोक सका।
पहले भी साधते रहे हैं निशाना
यह पहली बार नहीं है जब गडकरी ने अपनी ही सरकार पर हमला बोला हो, उन्होंने कई मौकों पर अपनी सरकार की आलोचना की है। पिछले साल महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गडकरी ने रोजगार और आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया था। केंद्रीय मंत्री ने मराठा आंदोलन पर कहा था कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण तो एक 'सोच' है जो चाहती है कि नीति निर्माता हर समुदाय के गरीबों पर विचार करें। उन्होंने कहा, 'मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है लेकिन नौकरियां नहीं हैं क्योंकि बैंक में आईटी (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) के कारण नौकरियां कम हुई हैं। सरकारी भर्ती रूकी हुई है। नौकरियां कहां हैं?
इसके अलावा नवंबर-दिसंबर, 2018 में देश के पांच राज्यों में हुए चुनाव में भाजपा की हार पर गडकरी ने कहा था, 'अगर मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद-विधायक अच्छा काम नहीं कर रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जाहिर है मैं।' दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सालाना लेक्चर कार्यक्रम में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि चुनाव में हार की जिम्मेदारी पार्टी नेतृत्व की होती है।