आउटलुक पहले ही यह खबर दे चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं चाहते थे कि आडवाणी का संबोधन कार्यकारिणी में हो।
पार्टी की ओर से ऐसा कोई बयान नहीं आया है कि आडवाणी ने बैठक को क्यों संबोधित नहीं किया लेकिन ऐसी अटकलें हैं कि वह इसको लेकर उत्सुक नहीं थे क्योंकि उनसे अपना भाषण दिखाने को कहा गया था। शीर्ष नेतृत्व में इस बात की आशंका थी कि वह पार्टी और सरकार की आलोचना कर सकते हैं। पार्टी में धीरे-धीरे हाशिए पर डाल दिए गए आडवाणी दो दिन चली बैठक में मौजूद थे। उन्होंने 2013 में गोवा में हुई बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। उस बैठक में नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की प्रचार अभियान समिति का प्रमुख बनाया गया था। बैठक को आडवाणी के नहीं संबोधित करने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, फैसला करने की आंतरिक व्यवस्था के बारे में हम मीडिया में चर्चा नहीं कर सकते हैं। पार्टी का कार्यक्रम हम कैसे निर्धारित करते हैं उसे आरटीआई और पारदर्शिता की दुनिया में भी हम आपके साथ साझा नहीं कर सकते। इस मुद्दे को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए जेटली ने कहा कि आडवाणी एक वरिष्ठ नेता हैं और वह किसी भी समय, उनकी जब भी इच्छा होगी किसी भी मंच पर पार्टी का मार्गदर्शन कर सकते हैं।