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आपातकाल की बरसी पर भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर साधा निशाना, पीएम मोदी बोले- ‘भारत के संविधान को रौंदा गया’

देश में इमरजेंसी को लगे 49 साल पूरे हुए हैं। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भारतीय जनता...
आपातकाल की बरसी पर भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर साधा निशाना, पीएम मोदी बोले- ‘भारत के संविधान को रौंदा गया’

देश में इमरजेंसी को लगे 49 साल पूरे हुए हैं। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने मंगलवार को कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और कहा कि विपक्षी दल द्वारा लोकतंत्र की हत्या करने और उसे बार-बार नुकसान पहुंचाने के लंबे इतिहास में यह सबसे बड़ा उदाहरण है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक के बाद एक कई ट्वीट कर कांग्रेस पर तंज कसा। पीएम मोदी ने अपने पहले ट्वीट में कहा कि आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया। #DarkDaysOfEmergency  हमें याद दिलाती है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रता को नष्ट कर दिया और भारत के संविधान को कुचल दिया, जिसका हर भारतीय सम्मान करता है।

 

पीएम मोदी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा कि सत्ता में टिके रहने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत को दरकिनार कर देश को जेलखाना बना दिया। जो भी कांग्रेस से असहमति जताता था उसे प्रताड़ित किया जाता था। पीएम मोदी ने कहा कि सामाजिक रूप से इस तरह की नीतियां लागू की गईं, जिससे सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जा सके।

 

तीसरे ट्वीट में पीएम मोदी ने लिखा कि जिन लोगों ने इमरजेंसी लगाई, उनको हमारे संविधान के प्रति अपना प्यार जताने का कोई अधिकार नहीं है। पीएम ने कहा कि ये लोग वही हैं, जिन्होंने अनगिनत मौकों पर अनुच्छेद 356 लागू किया। प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने के लिए विधेयक लाया गया, संघवाद को नष्ट किया और संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया।

 

पीएम मोदी ने अपने चौथे ट्वीट में कहा कि जिस मानसिकता की वजह से आपातकाल लगाया गया, वह आज भी उसी पार्टी में जिंदा है, जिसने इसे लगाया था। वे अपनी प्रतीकात्मकता के जरिए संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत के लोगों ने उनकी इन हरकतों को देखा है और यही वजह है कि उनको बार-बार खारिज किया है।

 

इससे पहले पीएम मोदी ने कल ही अपने संबोधन में कहा था कि 25 जून उनके लिए न भूलने वाला दिन है, जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा के प्रति समर्पित हैं और भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं में निष्ठा रखते हैं। उन्होंने कहा था कि भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, उसके 50 साल हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था। पीएम मोदी ने कहा कि इस दिन संविधान के चिथड़े-चिथड़े उड़ा दिये गये थे। देश को जेलखाना बना दिया गया था।

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि जो लोग आज भारतीय लोकतंत्र के संरक्षक होने का दावा करते हैं, उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उठाई गई आवाजों को दबाने का कोई मौका नहीं छोड़ा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र में एक काला अध्याय है, जिसे चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकता।

सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का जिस तरह खुला खेल उस दौरान खेला गया, वह कई राजनीतिक दलों की लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता पर बहुत बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है।’

उन्होंने कहा कि यदि आज इस देश में लोकतंत्र जीवित है तो उसका श्रेय उन लोगों को जाता है जिन्होंने लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष किया, जेल गये और न जाने कितनी शारीरिक और मानसिक यातना से उन्हें गुज़रना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘भारत की आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष और लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनके योगदान को याद रखेंगी।’

भाजपा ने कांग्रेस की तीखी आलोचना ऐसे समय की है जब विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर संविधान के खिलाफ काम करने का आरोप लगा रहे हैं।

18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार को शुरू होने पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्य संसद में संविधान की प्रतियां लेकर गए थे। मोदी ने सोमवार को कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए आपातकाल लगाए जाने का भी जिक्र किया था और लोगों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया था कि ऐसा दोबारा न हो।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘देश में लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार आघात करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। साल 1975 में आज के ही दिन कांग्रेस द्वारा लगाया गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।’

उन्होंने कहा कि अहंकार में डूबी, निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार के सत्ता सुख के लिए 21 महीनों तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए थे, मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए और न्यायालय तक के हाथ बांध दिए थे। उन्होंने कहा, ‘आपातकाल के खिलाफ संसद से सड़क तक आंदोलन करने वाले असंख्य सत्याग्रहियों, समाजसेवियों, श्रमिकों, किसानों, युवाओं व महिलाओं के संघर्ष को नमन करता हूं।’

भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नड्डा ने कहा कि आपातकाल लागू करने के कांग्रेस के राजनीतिक रूप से प्रेरित फैसले ने लोकतंत्र के स्तंभों को हिला दिया क्योंकि उसने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को रौंदने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा, ‘इस अवधि के दौरान, उन लोगों ने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उठाई गई आवाजों को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जो आज भारतीय लोकतंत्र के संरक्षक होने का दावा करते हैं।’

नड्डा ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि हमारी पार्टी उस परंपरा से संबद्ध है जिसने आपातकाल का जी-जान से विरोध किया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम किया।

बता दें कि साल 1975 में 25-26 जून की दरम्यानी रात से 21 मार्च 1977 तक (21 महीने) के लिए भारत में आपातकाल घोषित किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी थी।

स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक समय था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे और सभी नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था।

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