दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती वर्ष में भाजपा सरकार पूरे साल उनके विचारों को लोगों तक पहुंचाने का काम करेगी, जिसकी शुरुआत आज से हो गई है। वांग्मय के 15 खंडों पर संपादक महेश चंद्र शर्मा पिछले 30 बरस से काम कर रहे थे। दिल्ली के विज्ञान भवन में मोदी ने कहा, महेश चंद्र शर्मा का यह भगीरथ प्रयास है। मोदी ने दीनदयाल उपाध्याय की स्मृति को नमन किया और विजयदशमी की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, इस बार की विजयदशमी वैसे भी खास है। अपने भाषण में कई बार उन्होंने विपक्ष और राजनीतिक घटनाओं का उल्लेख बिना किसी का नाम लिए किया। हाल ही में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर चुटकी लेते हुए मोदी ने कहा कि यदि कोई व्यायाम कर रहा हो तो उस से पड़ोसी को चिंतित नहीं होना चाहिए। वह व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के लिए भी तो व्यायाम कर सकता है। मोदी ने बहुत सधे अंदाज में दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन और विचारों को आज के परिप्रेक्ष्य में जोड़ा। उन्होंने कहा श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहा करते थे कि यदि मेरे पास दो दीनदयाल उपाध्याय होते तो मैं भारत की राजनीति का चरित्र बदल सकता था। मोदी ने कहा, दीनदयाल उपाध्याय जिस चरैवेति चरैवेति के सिद्धांत को मानते थे, उसी पर देश को बढ़ना है।
समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी सरकार के एजेंडे को ही आगे बढ़ाया। उन्होंने हाल ही में कोझीकोड में हुई राष्ट्रीय परिषद की ही ज्यादातर बातें कीं, जिसमें गरीब कल्याण एजेंडा मुख्य था। शाह ने दीनदयाल उपाध्याय को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को पहली बार रेखांकित करने वाला बताया। सरकार्यवाह भय्या जी जोशी ने कहा कि भारत के चिंतन की नींव कमजोर नहीं होनी चाहिए। दीनदयाल उपाध्याय का चिंतन सिर्फ राजनीतिक नहीं था। कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी भी उपस्थित थे।