विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बजट की प्रस्तुति को आठ मार्च तक स्थगित करने के लिए सरकार को निर्देश देने की अपनी मांग को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, जदयू, बसपा, सपा, द्रमुक और राजद नेता शामिल थे। गौरतलब है कि पंजाब और गोवा में चार फरवरी को चुनाव होना है और उत्तर प्रदेश और मणिपुर में आखिरी चरण का चुनाव आठ मार्च को होगा।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनाव आयुक्त से भेंट के बाद बताया कि वर्ष 2012 में इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की आपत्ति के बाद कांग्रेस ने केंद्रीय बजट 28 फरवरी की बजाय 16 मार्च को पेश किया था। हम चाहते हैं कि चुनावों के खत्म होने तक बजट नहीं पेश किया जाना चाहिए। अन्य कांग्रेस नेता आनन्द शर्मा ने कहा कि अतीत में किसी भी सरकार ने चुनाव के बीच में बजट का इस्तेमाल मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए नहीं किया है।
आजाद ने कहा कि चुनावी कानूनी स्पष्ट तौर पर कहता है कि सत्तारूढ़ दल को चुनाव के दौरान कोई लाभ नहीं मिलना चाहिए और विपक्षी दल और सत्ता पक्ष दोनों समान स्थिति में होने चाहिए।
कांग्रेस नेता आजाद ने कहा कि एक फरवरी को बजट पेश किए जाने से संतुलन भाजपा की तरफ झुक सकता है क्योंकि वह रियायत देकर मतदाताओं को लुभाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है।
मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलने वालों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, बसपा के ए राजन, सपा (अखिलेश धड़े) के नरेश अग्रवाल, द्रमुक के टी शिवा और जदयू के केसी त्यागी शामिल रहे।
आयोग के सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दलों द्वारा रखी गई बातों पर सरकार का पक्ष मांगा जा सकता है।
इस मुद्दे को लेकर आयोग का कहना है कि वह एक फरवरी को बजट पेश किए जाने को लेकर विपक्ष की आपत्ति पर गौर करेगी।