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पेटीएम मतलब ‘पे टू मोदी’ : राहुल गांधी

नोटबंदी की घोषणा को एक महीना पूरा होने पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस निर्णय को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा प्रहार करते हुए आज कहा कि उनके इस मूर्खतापूर्ण फैसले ने देश को बर्बाद कर दिया है। प्रधानमंत्री के कैशलैस अर्थव्यवस्था के उल्लेख पर कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि यह पेटीएम का सिद्धांत है, ‘पे टू मोदी’। यह कैशलैस अर्थव्यवस्था के पीछे का विचार है।
पेटीएम मतलब ‘पे टू मोदी’ : राहुल गांधी

संसद भवन परिसर में विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर संसद में चर्चा से भागने का आरोप लगाया और जोर देते हुए कहा कि विपक्षी दल उन्हें दोनों सदनों से भागने नहीं देंगे, जहां चर्चा में प्रधानमंत्री के हिस्सा लेने पर सभी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी।

राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री का अच्छा समय चल रहा है और पिछले एक महीने से इस मुद्दे पर वह अपनी बातें बदल रहे हैं जबकि लोग कठिनाइयों के बोझ के तले दबते जा रहे हैं। राहुल ने कहा, प्रधानमंत्री ने तथाकथित साहसिक निर्णय लिया। साहसिक कदम मूर्खतापूर्ण कदम भी हो सकते हैं। और यह मूर्खतापूर्ण निर्णय था जिसने देश को बर्बाद कर दिया। 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई। किसान, मछुआरे, दिहाड़ी मजदूर बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि वह (प्रधानमंत्री) मुस्करा रहे हैं। वह अच्छा समय व्यतीत कर रहे हैं जबकि देश की जनता परेशान है। राहुल गांधी ने कहा कि इसलिए वे एक मुद्दे से दूसरे मुद्दे पर जा रहे हैं। और हम उन्हें सदन में घेरने जा रहे हैं। वे सदन से भाग नहीं पाएगे।

राहुल गांधी ने एक बार फिर से लोकसभा में नोटबंदी पर चर्चा ऐसे नियम के तहत कराने की मांग की जिसमें मतविभाजन का प्रावधान हो। उन्होंने दावा किया कि भाजपा के कुछ संसद विपक्ष की मांग का समर्थन करेंगे।

उन्होंने कहा कि हम भाजपा में ऐसे लोगों को जानते हैं जो ऐसी चर्चा की अनुमति दिए जाने पर हमारे पक्ष में मतदान करेंगे। अगर वह (प्रधानमंत्री) सदन में बोलेंगे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

पे टू मोदी टिप्पणी के बारे में राहुल ने कहा कि अगर लोकसभा में उन्हें बोलने दिया जाता है तब वह इसका विस्तार से उल्लेख करेंगे। संसद में बने गतिरोध के बारे में उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही चलाने की जिम्मेदारी सरकार, स्पीकर की होती है, विपक्ष की नहीं। हम चर्चा चाहते हैं। हम मतविभाजन के तहत चर्चा चाहते हैं, लेकिन सरकार ऐसा नहीं चाहती है। क्योंकि उन्हें मालूम है कि भाजपा के कुछ लोग भी हमारे पक्ष में मतदान करेंगे। (एजेंसी)

 

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