कांग्रेस ने सोमवार को अपने नेता सैम पित्रोदा की चीन संबंधी टिप्पणी से दूरी बनाते हुए कहा कि ये पार्टी के विचार नहीं हैं तथा चीन भारत के लिए सबसे बड़ी बाह्य सुरक्षा और आर्थिक चुनौती बना हुआ है।
दरअसल, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा ने कथित तौर पर कहा कि वह नहीं समझते कि भारत को चीन से कितना खतरा है, उन्होंने दावा किया कि इसे अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "चीन के संबंध में श्री सैम पित्रोदा द्वारा कथित रूप से व्यक्त किए गए विचार निश्चित रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विचार नहीं हैं।"
उन्होंने कहा, "चीन हमारी विदेश नीति, बाहरी सुरक्षा और आर्थिक चुनौती के मामले में सर्वोच्च प्राथमिकता बना हुआ है। कांग्रेस ने चीन के प्रति मोदी सरकार के रवैये पर बार-बार सवाल उठाए हैं, जिसमें 19 जून, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से चीन को क्लीन चिट देना भी शामिल है। चीन पर हमारा सबसे हालिया बयान 28 जनवरी, 2025 को था।"
रमेश ने कहा, "यह भी अत्यंत खेदजनक है कि संसद को स्थिति पर चर्चा करने तथा इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए सामूहिक संकल्प व्यक्त करने का अवसर नहीं दिया जा रहा है।"
भाजपा ने पित्रोदा की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि पित्रोदा ने जो कहा है वह कांग्रेस की मानसिकता का प्रतीक है और पित्रोदा की टिप्पणी कांग्रेस नेताओं के चीन के समर्थन वाले बयानों के अनुरूप है।
28 जनवरी को अपने बयान में रमेश ने कहा था कि कांग्रेस मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ संबंधों को सामान्य करने की घोषणा को ऐसे समय में देख रही है जब 21 अक्टूबर, 2024 के सैनिकों की वापसी समझौते के बारे में अभी भी कई अनुत्तरित प्रश्न हैं।
यह बयान विदेश सचिव की हाल की बीजिंग यात्रा के बाद नई दिल्ली और बीजिंग के बीच दोनों राजधानियों के बीच सीधी उड़ानें, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, उदार वीजा व्यवस्था और अन्य उपायों सहित वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बहाल करने पर सहमति के बाद आया है।
उन्होंने कहा, "मोदी सरकार ने अभी तक देश को संतोषजनक ढंग से यह नहीं समझाया है कि चीन के साथ संबंध सामान्य करने का यह सही समय है।"
रमेश ने अपने बयान में सरकार से कई सवाल पूछते हुए कहा था, "जब से चीन ने पूर्वी लद्दाख में 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा किया है, जिस पर मई 2020 तक भारतीय गश्ती दल की पहुंच थी, तब से देश के लोग और सशस्त्र बल यह मानते रहे हैं कि भारत सरकार को पहले जैसी यथास्थिति बहाल करने पर जोर देना चाहिए।"