कुछ ने तो प्रशांत किशोर के वर्करों को कड़े शब्दों में दोबारा ऐसा नहीं करने की चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा हैै कि टीम के सदस्य यह अच्छी तरह जान लें कि यूपी में कौन किस दल का नेता है।
दरअसल यह सारा मामला प्रशांत किशोर से नाराजगी का नतीजा है। प्रशांत किशोर ने अपनी 180 लोगों की टीम को केवल इस काम में लगाया है कि वह लोगों को फोन करके उनसे संपर्क स्थापित करे। कांग्रेस नेताओं को फोन किया जाए ताकि वह कांग्रेस और टीम पीके के टच में आएं। इसके अलावा इसका दूसरा फेज यह तय किया गया है कि इसमें उन लोगों को फोन किया जाए जो कभी कांग्रेसी रहे हैं।
रणनीति के अनुसार कांग्रेस से उनकी नाराजगी की वजह तलाशी जाए और यह समझा जाए कि उसे दूर कैसे किया जा सकता है। अभी पहले ही फेज का काम चल रहा है। कांग्रेस नेताओं को ही फोन किए जा रहे हैं। कांग्रेस नेताओं को फोन करके टीम पीके उनसे ऐसे दस लोगों का नंबर मांग रही है, जिन्हें कांग्रेस में जॉइन कराया जा सकता है। प्रदेश कांग्रेस सदस्यों के पास जब फोन पहुंचा तो उनमें से कुछ ने दस कांग्रेस के नेताओं का ही नाम और नंबर बता दिया। अब टीम पीके को यूपी के राजनीतिक चेहरों की जानकारी तो है नहीं, लिहाजा फोन घुमा दिया और कांग्रेस के नेताओं को ही कांग्रेस जॉइन करने का प्रपोजल दे दिया।