किसान आंदोलन को लेकर अब राजनीति गर्माने लगी है। केंद्र सरकार के प्रस्ताव को आंदोलनरत किसान नेताओं ने खारिज कर दिया है। किसानों का कहना है कि वो बुराड़ी में आंदोलन नहीं करेंगे, सरकार उनको रामलीला मैदान या फिर जंतर मंतर में आंदोलन करने की इजाजद दे। किसानों के रूख के बाद कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने रविवार को कहा कि कानूनों के समर्थन में लगातार जोर देने से साबित होता है कि सरकार ‘सत्ता के नशे में’ है। वह इस पर फिर से विचार करना भी नहीं चाहती। कांग्रेस ने यह मांग भी की कि तत्काल तीनों कृषि संबंधी कानूनों को निलंबित करने की सरकार को घोषणा करनी चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया गया था। मोदी सरकार ने आमदनी दोगुनी तो की, लेकिन अडानी-अंबानी की। उन्होंने ट्वीट किया, जो लोग काले कृषि कानूनों का बचाव कर रहे हैं, वे किसानों के पक्ष में क्या समाधान सुझाएंगे? अब होगी किसान की बात।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘भारत के 62 करोड़ किसानों और खेतिहर श्रमिकों के मुद्दों पर प्रधानमंत्री की जिद, अहंकार और अड़ियल रवैया आज के ‘मन की बात’ में उनके इस बयान में स्पष्ट दिखा कि संसद द्वारा गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से पारित तीनों किसान-विरोधी, कृषि विरोधी कानून सही हैं।’
उन्होंने कहा कि जब लाखों किसान आंदोलन करते हुए और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली के पास डेरा डाले हों, ऐसे में प्रधानमंत्री का यह कहना कि कि तीनों कानून पूरी तरह सही हैं, दिखाता है कि मोदी सरकार सत्ता के नशे में चूर है। सरकार तीनों ‘किसान विरोधी काले कानूनों’ पर पुनर्विचार करने तक के मामले में अड़ियल रवैया दिखा रही है।