कांग्रेस ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण पर न्यायमूर्ति ठाकुर की टिप्पणी ‘‘अभूतपूर्व लेकिन पूरी तरह से सही’’ है। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा आप नेता अरविन्द केजरीवाल ने सीजेआई के ‘साहस’’ के लिए उनकी ‘‘प्रशंसा’’ की। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में कानूनी अड़चन पर चुप्पी को लेकर सीजेआई ने सवाल किए जो अभूतपूर्व लेकिन पूरी तरह से सही हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को प्रधान न्यायाधीश की सलाह पर ध्यान दने की आवश्यकता है और इस मुद्दे पर क्षुद्र राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मोदी जी, स्वतंत्रता दिवस पर 1.25 अरब भारतीय निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली के लिए प्रतिबद्धता की मांग करते हैं। कृपया सीजेआई की सलाह पर ध्यान दीजिए।’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा मंजूर किए गए उच्च न्यायालय के 75 न्यायाधीशों के नामों पर रोक लगा दी गयी, न्यायाधीशों की नियुक्ति का मेमोरेंडम नाकाम हो गया। ‘जिद्दी’ प्रधानमंत्री द्वारा जानबूझकर न्याय में बाधा।’’ केजरीवाल ने भी ट्वीट के जरिए सीजेआई की सराहना की।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैं वास्तव में सीजेआई के साहस, प्रतिबद्धता और न्याय के लिए उनकी चिंता की सराहना करता हूं।’’ न्यायपालिका और सरकार के बीच गतिरोध जारी रहने के बीच प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में न्यायाधीशों की नियुक्ति का कोई उल्लेख नहीं किया।
प्रधान न्यायाधीश ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैंने लोकप्रिय प्रधानमंत्री को डेढ़ घंटे तक सुना... मुझे उम्मीद थी कि वह न्याय क्षेत्र और न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में भी कुछ जिक्र करेंगे।’’ इस कार्यक्रम में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे। अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री से सिर्फ एक ही बात कहना चाहता हूं, आप गरीबी हटाएं, रोजगार का सृजन करें, योजनाएं लाएं लेकिन देशवासियों के लिए न्याय के बारे में भी सोचें।’’