कांग्रेस ने सीबीआई डायरेक्टर की बहाली के बाद सीवीसी की भूमिका पर सवाल खड़े किये हैं। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि बहाली के बाद सीबीआई डायरेक्टर जब अपने दफ्तर वापस जाते हैं तभी से प्रधानमंत्री की घबराहट बढ़ जाती है और चंद घंटों के अंदर ही बैठक बुलाते हैं। उन्होंने कहा कि 23 अक्टूबर की रात में जिस तरह सरकार ने सीबीआई डायरेक्टर के मामले में फैसला लिया, वह गैर-कानूनी था। इस पूरे घटनाक्रम की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की जानी चाहिए।
एक प्रेस कॉफ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जिस सीवीसी की सिफारिश पर सरकार ने डायरेक्टर वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला लिया, वह खुद शक के दायरे में हैं। खुद पीएम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि संसद में अहम मुद्दों पर चर्चा होती है लेकिन पीएम जवाब नहीं देते लेकिन डायरेक्टर के मामले में तुरंत बैठक बुला लेते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के गलत फैसले की वजह से डायरेक्टर आलोक वर्मा को 77 दिन छुट्टी पर काटने पड़े। सरकार को उन्हें पूरे दो साल का कार्यकाल देना चाहिए।
'सीवीसी की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में'
कांग्रेस नेता ने कहा कि सीवीसी को न तो सीबीआई डायरेक्टर को हटाने और न ही तबादले का अधिकार है। जब सुप्रीम कोर्ट ने डायरेक्टर की बहाली का आदेश दिया है तो नैतिकता के आधार पर सीवीसी को पद छोड़ देना चाहिए। इस मामले में सीवीसी की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या सीवीसी का काम आधी रात को जाकर फाइलें निकालने का है? यह किसी एक व्यक्ति की बात नहीं बल्कि संस्था की विश्वसनीयता का सवाल है जिसे तार-तार कर दिया गया है।
'सीबीआई चीफ को हटाने की जल्दबाजी क्या है'
इससे पहले इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर सवाल पूछे। उन्होंने पूछा है, ‘सीबीआई चीफ को बर्खास्त करने को लेकर प्रधानमंत्री इतनी जल्दबाजी में क्यों हैं?’ बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने मीडिया से कहा था कि सीबीआई चीफ को इसलिए हटाया गया था क्योंकि वह राफेल डील की जांच शुरू करना चाहते थे।
मंगलवार को केंद्र सरकार को उस समय झटका लगा था जब आलोक वर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर पद पर बहाल कर दिया था। सीबीआई चीफ आलोक वर्मा ने 77 दिनों बाद अपना कार्यभार बुधवार को संभाल लिया। केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर 2018 को देर रात आदेश जारी कर वर्मा के अधिकार वापस लेकर उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया था।