सीएम योगी हनुमान गढ़ी भी गए। वहां सरयू तट पर पूजा अर्चना भी की। सीएम योगी ने सरयू नदी के घाटों को दुरुस्त करने तथा इसके विशेष रखरखाव के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने विशाल सरयू महोत्सव तथा वाराणसी में होने वाली गंगा आरती की तर्ज पर सरयू आरती कराने का भी ऐलान किया। लेकिन इसे उतना महत्वपूर्ण नहीं माना जा रहा है। राजनीतिक हलकों में कुछ और ही चर्चे हैं। आइए जानते हैं योगी के इस दौरे का राजनीतिक मतलब और खासियत-
-बाबरी विध्वंस केस में भाजपा नेताओं पर आरोप तय होने के दूसरे ही दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या के दौरे पर पहुंच गए हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम योगी का यह पहला अयोध्या दौरा है। अयोध्या में वह रामलला के दर्शन भी कर सकते हैं। परिणामस्वरूप एक दिन पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर आरोप तय होना, फिर योगी का आज अयोध्या जाना, इन दोनों परिघटनाओं को जोड़कर सियासत आप भी समझ सकते हैं।
-इसके जरिए भाजपा यह संदेश तो नहीं देना चाहती कि उनके लिए राम मंदिर का मुद्दा गौंड़ नहीं हुआ है? बता दें कि कल बाबरी मामले पर सुनवाई से पूर्व पार्टी के वरिष्ठ नेता-गण योगी से भेंट किए थे। फिर इन नेताओं पर आरोप तय होने के बाद योगी का दूसरे ही दिन अयोध्या जाना कहीं न कहीं इस बात की ओर इशारा करती है कि यह मुद्दा औज भी पार्टी के लिए प्रासंगिक है।
- 1992 में हुए बाबरी विध्वंस के बाद वहां जाने वाले दूसरे मुख्यमंत्री होंगे, जो रामलला मंदिर पहुंचे हैं। इससे पहले 2002 में मुख्यमंत्री रहे राजनाथ सिंह रामलला के दर्शन करने गए थे।
-इस दौरे को लेकर यह भी मान जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से उपचुनाव लड़ सकते हैं। लोगों द्वारा यह कयास लगाया जा रहा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि क्या सचमुच योगी अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे। यदि ऐसा होता है तो इसे भी बड़ी सियासी घटना के तौर पर देखे जाने की संभावना है।
बहरहाल 25 सालों में पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के अयोध्या दौरे को देखते हुए फैजाबाद जिले में जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।