किसानों के मुद्दे पर एनडीए सरकार कांग्रेस के निशाने पर है। लेकिन निशाना साधने के चक्कर में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ऐसा बयान दे डाला, जिसे लेकर उनकी किरकिरी हो सकती है।
एएनआई के मुताबिक, खड़गे ने कहा, 'मौजूदा सरकार भौंकने वाली सरकार है। यूपीए सरकार चुपचाप काम करती थी, कुछ बोलती नहीं थी तो ये लोग हमें मौनी सरकार के नाम से बुलाते थे। लेकिन आप खुद इस बात का विश्लेषण कर सकते हैं कि यूपीए और एनडीए सरकार में किसानों के हालात कैसे हैं।'
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश के सभी हिस्सों में किसान, एनडीए सरकार की नीतियों से कराह रहे हैं। किसानों को उनकी उपज की उचित लागत नहीं मिल रही है। इसके साथ ही बढ़ती हुई कीमतों की वजह से उन्हें दो जून की रोटी नसीब नहीं हो रही है। इस सरकार में पेट्रोल और डीजल के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन मौजूदा सरकार आंकड़ों के जाल में उलझाने की कोशिश कर रही है।
Compare the farm loan waiver under NDA & UPA govt. We never indulged in publicity. We used to work & stay quite. Maybe that's why they used to call us 'mauni' & 'goongi' govt. Present government is a barking govt, but doesn't do anything: Mallikarjun Kharge, Congress pic.twitter.com/rP6bcd6OVO
— ANI (@ANI) June 3, 2018
किसानों को दिए गए कर्जों के बारे में खड़गे ने कहा कि यूपीए सरकार में कर्जमाफी नीति को ईमानदारी से लागू किया गया। लेकिन ये सरकार तो झूठ पर झूठ बोल रही है। बीजेपी शासित सूबों में क्या हो रहा है कि कुछ बताने की जरूरत नहीं है।
देश के कई हिस्सों में असंतुष्ट किसान सड़क पर सब्जियां, दूध और अन्य कृषि उत्पादों को फेंक प्रदर्शन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ नेता उनकी इस हड़ताल का मजाक बना रहे हैं। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने किसानों के इस आंदोलन को पब्लिसिटी स्टंट बताया है। उन्होंने कहा कि मीडिया में आने के लिए कुछ अनोखे काम करने पड़ते हैं।
विभिन्न राज्यों के किसान 10 दिन की हड़ताल पर है। शनिवार को उनकी हड़तास का दूसरा दिन है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा- देखिए, एक बात तो सही है कि मीडिया में आने के लिए कुछ अनोखे काम करने पड़ते हैं। निश्चित रूप से कुछ लोग अनोखे काम कर रहे होंगे। देश में 12-14 करोड़ किसान हैं, तो किसी भी संगठन में 1000-500 किसान स्वाभाविक है, और मीडिया में आने के लिए कुछ अनोखा करना ही पड़ता है, तो ये स्वाभाविक है।