राफेल मामले पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांक्वा ओलांद का बयान आने के बाद देश का सियासी पारा चरम पर पहुंच गया है। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान को जुगलबंदी करार दिया। इस पर कांग्रेस ने भी जेटली को आड़े हाथों लिया।
कांग्रेस प्रवक्ता आरएस सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, “प्रिय ‘झूठली’ जी, राफेल घोटाला भ्रष्टाचार को उजागर करता ‘क्राइम पेट्रोल सीरियल’ है, यह मोदीजी के ‘राग-दरबारियों’ का लॉफ्टर चैलेंज नहीं।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी क्यों नहीं बतातें हैं कि- ये डील 'गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट' नहीं, ‘मोदी टू अंबानी' डील है?
जेटली ने क्या कहा?
अरुण जेटली ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांक्वा ओलांद के बयान की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं होगा कि सारी बातें सोच समझ कर कही गई हों। उन्होंने सवाल उठाया कि राहुल गांधी 30 अगस्त को ट्वीट करते हैं कि आने वाले कुछ हफ्तों में इस मामले में कुछ धमाके होने वाले हैं। ये उनको (राहुल गांधी) कैसे मालूम कि ऐसा बयान आने वाला है? जेटली ने कहा कि इस तरह की जो जुगलबंदी है, मेरे पास कुछ सबूत नहीं है। लेकिन मन में प्रश्न खड़ा होता है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तंज कसते हुए जेटली ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में संवाद कोई लाफ्टर चैलेंज नहीं कि आप किसी को भी गले लगालो, आंख मारो, लगातार गलत बयान देते रहो। जेटली ने कहा लोकतंत्र में प्रहार होते हैं लेकिन शब्दावली ऐसी होनी चाहिए जिसमें बुद्धि दिखाई दे।
ओलांद के इस बयान के बाद मची है खलबली
ओलांद ने कहा था कि अनिल अंबानी के रिलायंस का नाम भारत सरकार ने सुझाया था। उनके पास और कोई विकल्प नहीं था। फ्रेंच मीडिया को दिए इंटरव्यू में ओलांद ने कहा कि भारत सरकार के नाम सुझाने के बाद ही डसॉल्ट एविएशन ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस से बात शुरू की। इस बयान के बाद से ही भारत में सियासी घमासान मचा हुआ है।
हालांकि एक दिन बाद ओलांद ने कहा था कि राफेल की निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने फ्रांस सरकार से बात किए बगैर रिलायंस को पार्टनर चुना। भारत सरकार द्वारा रिलायंस को शामिल करने को लेकर दबाव बनाने के आरोप पर डसॉल्ट ही जवाबदेह है।