राजस्थान कांग्रेस में चल रहे राजनीतिक घमासान का कोई हल नहीं निकल सका है। अपनी मांगों को लेकर दिल्ली आए पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को प्रियंका गांधी वाड्रा से मिले बिना ही बैरंग लौटना पड़ गया। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नंबर गेम उन पर भारी पड़ गया। वहीं हालिया घटनाक्रम से संकेत मिल रहे हैं कि उन्हें आलाकमान भाव नहीं दे रहा है। बता दें कि पायलट शुक्रवार (11 जून) को दिल्ली आए थे मगर छह दिनों बाद उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा। वहीं उनके समर्थक विधायकों और सीएम अशोक गहलोत खेमे के बीच तीखी बयानबाजी जारी है।
जानकारी के अनुसार, छह दिन दिल्ली में रहने के बावजूद सचिन पायलट और पार्टी हाईकमान की मुलाकात न होने के बाद राजस्थान में राजनीतिक अटकलें शुरू हो गई हैं। कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नंबर गेम में आगे निकल रहे हैं। वहीं सचिन पायलट के खेमे की मांगों को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार कि सचिन पायलट की दिल्ली यात्रा को लेकर काफी कयास लगाए जा रहे थे। माना जा रहा था कि पंजाब की तरह ही पायलट खेमे की मांगों को भी सुना जाएगा, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब सचिन पायलट और गहलोत खेमे के बीच खींचतान और ज्यादा बढ़ने की संभावना। हालांकि अभी पायलट ने अभी चुप्पी साध रखी है।
बता दें कि राजस्थान में छिड़े राजनीतिक घमासान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने एक-दूसरे के विरुद्ध कुछ भी नहीं बोला है। हालांकि, दोनों के समर्थक लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। इसी कड़ी में सीकर जिले के खंडेला के निर्दलीय विधायक महादेवसिंह खंडेला ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रतिपूर्ण आस्था जताते हुए कहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही कांग्रेस हैं। खंडेला ने कहा कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के काल में अशोक गहलोत केंद्रीय मंत्री रहे। वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी दिल से जुड़े हैं। जनता भी उन्हें चाहती है। उन्होंने कहा कि आलाकमान सचिन पायलट को कभी मुख्यमंत्री नहीं बना सकता। अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री पद बने रहेंगे।