राजस्थान सियासी संकट लगातार बढ़ता हीं जा रहा है। राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा विधानसभा के विशेष सत्र को बुलाने की अनुमति नहीं मिलने को लेकर कांग्रेस ने राज्यपाल पर बड़ा आरोप लगाया है। रविवार को कांग्रेस ने राजस्थान के राज्यपाल पर आरोप लगाते हुए कहा है कि अशोक गहलोत सरकार द्वारा राज्य विधानसभा सत्र बुलाने की मांग पर वो ‘लोकतंत्र में बाधा’ डालने का काम कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कर बहुमत करना चाहती है और इसके लिए "भीख" मांग रही है, लेकिन राज्यपाल सदन नहीं बुला रहे हैं और केंद्र सरकार के इशारे पर विश्वास मत में "देरी" कर रहे हैं।
राजस्थान सियासी संकट लगातार बढ़ता हीं जा रहा है। राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा विधानसभा के विशेष सत्र को बुलाने की अनुमति नहीं मिलने को लेकर कांग्रेस ने राज्यपाल पर बड़ा आरोप लगाया है। रविवार को कांग्रेस ने राजस्थान के राज्यपाल पर आरोप लगाते हुए कहा है कि अशोक गहलोत सरकार द्वारा राज्य विधानसभा सत्र बुलाने की मांग पर वो ‘लोकतंत्र में बाधा’ डालने का काम कर रहे हैं।
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कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कर बहुमत करना चाहती है और इसके लिए "भीख" मांग रही है, लेकिन राज्यपाल सदन नहीं बुला रहे हैं और केंद्र सरकार के इशारे पर विश्वास मत में "देरी" कर रहे हैं।
सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और राजस्थान विधानसभा के संबंध में कई मिसालों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि राज्यपाल अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकते हैं और केवल मंत्रिमंडल की सलाह से ऐसा कर सकते हैं।
वहीं, राजभवन के सूत्रों ने बताया कि राजस्थान के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल से एक संशोधित प्रस्ताव प्राप्त किया है जिसमें अनुरोध किया गया है कि विधानसभा का सत्र 31 जुलाई को बुलाया जाएगा। ये प्रस्ताव गहलोत मंत्रिमंडल की तरफ से शनिवार की देर रात राज्यपाल को मिला है।
इससे पहले शुक्रवार को प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलकर विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की थी। वहीं, राजभवन के लॉन में कांग्रेस विधायकों के करीब पांच घंटे के धरने पर बैठ गए थे। जिसके बाद राज्यपाल मिश्र ने राज्य सरकार से छह बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा था। कलराज मिश्र ने कहा था कि जब गहलोत सरकार के पास बहुमत है तो वो क्यों इस महामारी संकट में विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं।
इस तनातनी के बीच कांग्रेस की अगुवाई वाली गहलोत सरकार विधानसभा के सत्र बुलाने को लेकर जोर दे रही है, ताकि राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा शुक्रवार को आदेश दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री सदन के पटल पर अपना बहुमत साबित कर सकें कि स्पीकर द्वारा भेजी गई अयोग्यता नोटिसों पर यथास्थिति बरकरार रखी जाए। पायलट और 18 अन्य विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर स्पीकर सीपी जोशी ने नोटिस भेजा है, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया। हाईकोर्ट में 24 जुलाई को सुनवाई से पहले सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली 27 जुलाई को होगी।
राजस्थान विधानसभा में दो सौ सीट है। इसमें से 72 विधायक भाजपा के हैं। वहीं, गहलोत सरकार का दावा है कि उनके पास बहुमत के साथ 107 अधिक विधायक हैं। कांग्रेस पार्टी में पायलट समेत 19 विधायकों ने बागी तेवर अख्तियार किए हुए हैं। बागी सचिन पायलट का दावा है कि गहलोत सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है।