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राजस्थानः सचिन गुट के समर्थकों ने दिल्ली में डाला डेरा, गहलोत की फिर बढ़ सकती हैं मुश्किलें

देश के कई राज्यों में कांग्रेस में अंदरूनी कलह बनी हुई है और यह खुलकर सामने आ रही है। इस समय पंजाब,...
राजस्थानः सचिन गुट के समर्थकों ने दिल्ली में डाला डेरा, गहलोत की फिर बढ़ सकती हैं मुश्किलें

देश के कई राज्यों में कांग्रेस में अंदरूनी कलह बनी हुई है और यह खुलकर सामने आ रही है। इस समय पंजाब, कर्नाटक और राजस्थान की कलह खत्म करने को लेकर आलाकमान व्यस्त है। इस बीच अब राजस्थान में एक बार फिर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किल बढ़ सकती है। सचिन पायलट गुट के 15 पार्टी नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है। इन विधायकों ने पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को राज्य सरकार में बसपा से कांग्रेसी बने विधायकों और निर्दलीय विधायकों के बढ़ते प्रभाव के बारे में लिखा था।

शाहपुरा विधानसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी मनीष यादव ने कहा, 'हम तब तक दिल्ली में डेरा डालते रहेंगे जब तक हम नेताओं से नहीं मिलते और अपनी समस्याएं नहीं बता देते।'' उन्होंने कहा कि एआईसीसी के महासचिव और राज्य के प्रभारी अजय माकन ने मंगलवार दोपहर को समय दिया था, लेकिन कुछ बैठक के कारण स्थगित कर दिया गया था। सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले सभी माकन से मिलना चाहते थे, लेकिन उन्हें पांच के छोटे प्रतिनिधिमंडल के रूप में आने के लिए कहा गया।

मनीष यादव ने कहा, 'हमारा सही बकाया मारा जा रहा है। सीएम सरकार का नेतृत्व करते हैं और संगठन राज्य पार्टी प्रमुख द्वारा तय होता है। दोनों हमसे बच रहे हैं।” 2018 में मतदान करने वाले कार्यकर्ताओं और जनता को सरकार में नहीं सुना जा रहा है। राजस्थान में पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के धड़े एक पखवाड़े से कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं।

पायलट और गहलोत की लड़ाई राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के ठीक बाद से शुरू हो गए थे। कुछ समय की खामोशी के बाद कैबिनेट विस्तार और नियुक्तियों को लेकर जारी सियासी घमासान फिर शुरू हो गया है। 2018 में विधानसभा चुनाव हारने वाले कांग्रेस उम्मीदवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के समर्थक पार्टी नेतृत्व से मिलने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इन विधायक उम्मीदवारों ने पहले कहा था कि विधायक (निर्दलीय और बसपा से शामिल होने वाले) विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठनात्मक ढांचे को कमजोर कर रहे हैं। उनका कहना था, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी संगठन इन विधायकों की मर्जी पर काम कर रहा है। पार्टी कार्यकर्ता और मतदाता ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।''

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