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भाजपा के कायाकल्प के रामदेव की योजना पर संघ ने फेरा था पानी

साल 2009 में यूपीए के दोबारा सत्ता में आने और भाजपा खेमे में निराशा छाए होने के बाद बाबा रामदेव ने भाजपा में जान फूंकने के लिए एक योजना आरएसएस के सामने रखी थी। पत्रकार भवदीप कांग की नई किताब में यह दावा किया गया है। किताब के अनुसार, इस योजना के तहत रामदेव ने 2010 में अपनी संस्‍था भारत स्वाभिमान आंदोलन का भाजपा में विलय करने और राजनीतिक और सामाजिक बदलाव के लिए संयुक्त अभियान चलाने का प्रस्ताव दिया था।
भाजपा के कायाकल्प के रामदेव की योजना पर संघ ने फेरा था पानी

अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ ने कांग की किताब ‘गुरुज - स्टोरीज ऑफ इंडियाज लीडिंग बाबाज’ के हवाले से लिखा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने रामदेव के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था।

कांग ने दावा किया है कि रामदेव ने 11 सदस्यीय एक पैनल बनाने का सुझाव दिया था जो भाजपा के संविधान को पुनर्गठित करता। यही नहीं उन्होंने संघ, भाजपा और भारत स्वाभिमान सभी के दो-दो प्रतिनिधियों को मिलाकर एक समिति गठित करने का सुझाव भी दिया था जो वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्‍ण आडवाणी के मार्गदर्शन में इस ‘महा कामराज योजना’ पर काम करता। गौरतलब है कि 1963 में के. कामराज ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और नेहरू मंत्रिमंडल के कई वरिष्ठ मंत्रियों से आग्रह किया था कि वे सरकार से बाहर आकर पार्टी के लिए काम करें। इसे कामराज योजना नाम दिया गया था।

कांग के अनुसार रामदेव के प्रस्ताव पर आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व ने मार्च, 2011 में कर्नाटक के उडुपी में हुई बैठक में विचार किया था। कांग का दावा है कि इसके कुछ सप्ताह बाद 7 अप्रैल, 2011 को हरिद्वार में रामदेव द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सरसंघ चालक मोहन भागवत शामिल हुए। इसके बाद दोनों की अकेले में बातचीत हुई जिसमें भागवत ने रामदेव को एक लिखित नोट सौंपा जिसमें सलाह दी गई थी कि इस बारे में रामदेव सीधे भाजपा से ही बात करें। दूसरे शब्दों में कहें तो आरएसएस ने रामदेव के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। बाद में जब कांग ने इस बारे में रामदेव से पूछा था तो उन्होंने कहा कि जाने दीजिए, यह पुरानी बात हो गई। भवदीप कांग वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार हैं जिन्होंने कई प्रतिष्ठित अखबारों और पत्रिकाओं में काम किया है।

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