कांग्रेस महासचिव एवं कर्नाटक मामलों के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्य में सत्तारूढ़ दल के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों और ‘‘असंतोष’’ के संकेतों के बीच यहां पार्टी विधायकों के साथ बैठकें शुरू कीं।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, सुरजेवाला अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान विधायकों के साथ अलग-अलग मुलाकात कर सकते हैं। उनका सोमवार को चिक्काबल्लापुरा और कोलार क्षेत्रों के विधायकों से मिलने का कार्यक्रम है।
सूत्रों ने बताया कि उम्मीद है कि सुरजेवाला उनकी शिकायतें सुनेंगे और सरकार के कामकाज पर प्रतिक्रिया लेंगे।
ये बैठकें इसलिए महत्वपूर्ण हो गई हैं क्योंकि कुछ विधायकों ने हाल में सरकार के कामकाज पर असंतोष जताया है। ये बैठकें ऐसे समय में हो रही हैं जब सहकारिता मंत्री के. एन. राजन्ना की टिप्पणी के बाद नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें फिर से शुरू हो गई हैं। राजन्ना ने सितंबर के बाद "क्रांतिकारी" राजनीतिक घटनाक्रम का संकेत दिया था।
पार्टी हलकों में संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने की भी चर्चा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद फिलहाल उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के पास है।
इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्रकारों से कहा कि सुरजेवाला आए हैं, उनकी रिपोर्ट और उनके द्वारा एकत्रित जानकारी के आधार पर, ‘‘हम तय करेंगे कि क्या कदम उठाने हैं।’’
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मैसूरु में पत्रकारों से कहा, ‘‘वह कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हैं। वह विधायकों की राय लेंगे, उनकी चिंताओं को सुनेंगे और संगठन को मजबूत करने के लिए क्या करने की जरूरत है, इसका आकलन करेंगे। वह अपना काम करेंगे।’’
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा कि सुरजेवाला नियमित रूप से पार्टी मामलों की समीक्षा करने के लिए कर्नाटक आते हैं, न कि केवल सरकारी मामलों की।
उन्होंने कहा, ‘‘वह राजनीतिक पहलुओं, पार्टी कार्यक्रमों की भी समीक्षा करेंगे और अगर पार्टी या सरकार के भीतर कोई गड़बड़ी है, तो वह प्रभारी महासचिव के तौर पर हमारा मार्गदर्शन करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि सुरजेवाला हाल के हफ्तों में कुछ विधायकों द्वारा उठाई गई चिंताओं का भी समाधान कर सकते हैं।
अलंद विधायक बी. आर. पाटिल ने आवास विभाग के तहत सार्वजनिक आवास आवंटन में रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था, जबकि कागवाड विधायक राजू कागे ने विकास कार्यों और कोष जारी होने में देरी का हवाला देते हुए इस्तीफा देने का संकेत दिया था और आरोप लगाया था कि प्रशासन "पूरी तरह से धराशायी हो गया है।"
इन टिप्पणियों ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस को शर्मिंदा किया है, जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) ने सरकार पर "बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार" का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और आवास मंत्री बी. जेड. जमीर अहमद खान के इस्तीफे की मांग की है।
सिद्धरमैया ने पिछले हफ्ते नयी दिल्ली से लौटने के बाद पाटिल और कागे दोनों से मुलाकात की और कथित तौर पर उन्हें उनकी चिंताओं का समाधान किये जाने का आश्वासन दिया। बताया जाता है कि उन्होंने उनसे "सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से न बोलने" का आग्रह भी किया।
इस बीच, कांग्रेस सरकार के दो साल पूरे होने के साथ ही कैबिनेट फेरबदल के लिए दबाव बढ़ रहा है।