पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बयान जारी कर विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही में कृषि कानूनों पर रेज्युलेशन पर कांग्रेस की अमेंडमेंट को स्वीकार नही किया गया । कांग्रेस की ओर से कृषि बिलों को लेकर की गई वोटिंग की मांग को भी स्वीकार नहीं किया गया, बल्कि कांग्रेस के विधायकों को नेम कर सदन से बाहर करने का काम किया गया, जिससे सरकार ने बिना किसी रुकावट के उन्हें पास करने का काम किया। हुड्डा ने कहा कि विधानसभा की रुल बुक के सेक्शन नंबर 183 के अनुसार किसी भी बिल पर चर्चा से पहले वोटिंग होनी चाहिए, लेकिन दो दिन के सत्र में विपक्ष की बात को अनसुना कर प्रजातंत्र का गला घोटने का काम बीजेपी की ओर से किया गया है।
पंचायतों पर लागू किए गए राइट टू रिकॉल पर भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पहले एमएलए और एमपी पर इसे लागू करना चाहिए। उसके बाद इसे निचले स्तर पर ले जाना चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बिना एमएसपी के 3 क़ानूनों से किसानों की बर्बादी तय है। इनसे धीरे-धीरे मंडियां और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी। इतना ही नहीं इनका सबसे ज़्यादा असर सरकारी डिपो से राशन लेने वाले ग़रीब तबके पर पड़ेगा। जिस तरह से सरकारी एजेंसियां फसलों की ख़रीद से हाथ खींच रही हैं, उससे साफ है कि आने वाले वक्त में नए क़ानूनों का असर पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पर पड़ने वाला है। अगर सरकार फसलों की ख़रीद ही नहीं करेगी तो ज़ाहिर है डिपो के ज़रिए ग़रीब परिवारों को मिलने वाला राशन भी बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं आम जनता पर इन क़ानूनों की मार पड़नी शुरू हो गई है। ज़रूरी वस्तु अधिनियम में बदलाव का ही नतीजा है कि जमाखोर किसानों से 4-5 रुपये प्रति किलो प्याज ख़रीदकर आम जनता को 100 रुपये किलो के रेट पर बेच रहे हैं। इसी तरह किसान से 3-4 रुपये प्रति किलो टमाटर ख़रीदकर जनता को 80-100 रुपये किलो बेचा जा रहा है। इसलिए कांग्रेस लगातार सड़क से लेकर सदन तक इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है, क्योंकि जब तक देश का किसान सुरक्षित नहीं रहेगा, तब तक आम नागरिक भी सुरक्षित नहीं रह सकता और कांग्रेस हर हालत में किसानों को उनकी फसल के एमएसपी की गारंटी दिलाकर ही रहेगी।
भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि 2007 में उनकी सरकार के दौरान कॉंट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर नियम बनाया गया था, जिसमें हरियाणा के किसान को उसकी फसल की एमएसपी पर खरीद की गारंटी दी गई थी। इतना ही नहीं कॉंट्रेक्ट करने वाले व्यापारी या फिर फर्म को भी तय राशि का 15 फीसदी किसान के पास बैंक गारंटी के रूप में एडवांस देने का भी प्रावधान किया गया था, लेकिन नए कानूनों में ऐसा कुछ भी नहीं है। यदि सरकार इन तीन कानूनों के साथ एक चौथा कानून लाकर किसान को उसकी फसल के एमएसपी की गारंटी और उससे कम पर खरीदने वाले के लिए सजा का प्रावधान कर देती है तो वे इसका विरोध बंद कर देंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी जनहित के मुद्दों पर चर्चा से भाग रही है। इसीलिए उसने विपक्ष की मांग को नज़अंदाज़ करते हुए महज़ दो दिन का विधानसभा सत्र रखा ।
कांग्रेस विधायकों की तरफ से स्पीकर को 3 कृषि क़ानूनों, किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज़ झूठे मुक़द्दमों, सोनीपत में ज़हरीली शराब से मौत, प्रदेश में बढ़ते अपराध, 1983 पीटीआई, 1518 ग्रुप डी कर्मचारियों, शराब घोटाला, रजिस्ट्री घोटाला, धान घोटाला जैसे कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा के लिए प्रस्ताव दिए थे, लेकिन सरकार ने ज़्यादातर मुद्दों पर चर्चा करने से ही इंकार कर दिया। कांग्रेस विधायकों के कई ध्यानाकर्षण और स्थगन प्रस्तावों को ख़ारिज कर दिया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि वे विधानसभा अध्यक्ष का सम्मान करते हैं, लेकिन सत्र के दौरान जिस प्रकार से उन्होंने पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया, वो सही नहीं था। प्रदेश का हर वर्ग चाहता था कि उनके मुद्दे विपक्ष की ओर से सदन में उठाए जाते, लेकिन सरकार ने जनहित से जुड़े गंभीर मुद्दों पर चर्चा तक करना मुनासिब नहीं समझा। हुड्डा ने कहा कि सदन में सरकार के रवैये से साफ हो गया कि उसके पास विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं है।