शर्मा ने कहा कि सरकार को नोटबंदी मामले में जेपीसी से जांच कराना चाहिए। इससे पता चल जाएगा कि नोटबंदी के बारे में और किन लोगों को जानकारी थी।
उन्होंने कहा कि 2000 रुपए के नोटों को लाना एक अवैध कृत्य है क्योंकि नए नोट छापने के लिए आरबीआई अधिनियम के तहत जो अधिसूचना जारी करना आवश्यक होता है, वह जारी नहीं की गई और कानून के तहत अनिवार्य बात को नजरअंदाज किया गया। शर्मा ने नोट बदलवाने वालों की उंगलियों पर अमिट स्याही लगाए जाने के सरकार के कदम की भी आलोचना की। कांग्रेस ने कहा कि एकजुट विपक्ष इस मामले को जन आंदोलन का विषय बनाने के अलावा संसद में जोरदार तरीके से उठाएगा।
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री जानबूझकर अहम मामलों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं और राष्ट्रवाद की आड़ में कालेधन के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले का ढाेंग करके गरीब लोगों को मूर्ख बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और इस कदम को सही बताते हुए उनके तर्कों का समर्थन कर रहे लोग संविधान और कानून के मामले में अनपढ़ हैं। शर्मा ने कहा, देश को वित्तीय अराजकता की स्थिति में डालने के लिए पूरी तरह से प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं। संविधान के अनुच्छेद 360 के प्रावधानों को लागू किए बिना ही देश में अघोषित वित्तीय आपातकाल लग गया है।
उन्होंने कहा, नोटों का चलन बंद करने के संबंध में प्रधानमंत्री ने आठ नवंबर को जो सनसनीखेज और नाटकीय घोषणा की थी उसका कोई कानूनी आधार नहीं है क्योंकि मौद्रिक नीति भारतीय रिजर्व बैंक का क्षेत्राधिकार है।शर्मा ने कहा कि 2000 रुपए के नोट जारी करना एक अवैध कदम है क्योंकि आरबीआई अधिनियम के तहत कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई थी और कोई नया नोट लाने से पहले इस प्रकार की अधिसूचना जारी करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, 2000 रुपए के इन अवैध नए नोटों का चलन काले धन के प्रसार को नियंत्रित करने के सरकार के कदम के विपरीत है।
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री पर कई बार कानून एवं संविधान का उल्लंघन करने और भ्रामक बयान देने का आरोप लगाया। शर्मा ने नोट बदलवाने वाले आम लोगों की उंगलियों पर स्याही लगाने के सरकार के कदम पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, तानाशाहों ने भी वह काम नहीं किया जो इस सरकार ने किया है। उन्होंने कहा, केवल नाजी लोगों पर निशान लगाते थे। धन निकालने के कारण हमारे नागरिकों एवं विदेशी मेहमानों पर निशान लगाए जा रहे हैं। यह चिंता एवं शर्म की बात है। अतुल्य भारत रात भर में अमिट स्याही वाले भारत में बदल गया। शर्मा ने कहा कि 500 एवं 1000 रुपए के पुराने नोटों की जगह लेने वाले नए नोट अभी तैयार नहीं है और इस कमी के कारण लोगों को असुविधा हो रही है। उन्होंने कहा, इससे लोगों, खासकर गरीबों, किसानों और असंगिठत क्षेत्र एवं खेतों में मजदूरी करने वाले कुल 33 करोड़ भारतीय कार्यबल को बहुत परेशानी हो रही है। शर्मा ने प्रधानमंत्री पर नियम आधारित देश वाली भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।
नोटों का चलन बंद करने और इसके क्रियान्वयन को लेकर सरकार को आड़े हाथों लेने के लिए संसद में बड़े राजनीतिक दल पहले ही साथ आ चुके हैं। शर्मा ने कहा कि न तो प्रधानमंत्री और न ही वित्त मंत्री के पास इस बात की कोई कानूनी मंजूरी या अधिकार है कि वे लोगों की उनके अपने ही बैंक खातों तक पहुंच रोक सकें और परिवारों, नागरिकों एवं वेतनभोगी कर्मियों के बचत खातों से धन निकालने को लेकर सीमा लागू कर सके।
उन्होंने कहा, विपक्षी न्यायोचित काम कर रहे हैं और सरकार के कदम की कुछ लोगों को पहले से जानकारी होने के मामले में जेपीसी जांच संबंधी अपनी मांग को लेकर दृढ़ हैं। यह सूचना लीक होना गोपनीयता का उल्लंघन है और इससे काला धन रखने वालों को प्रत्यक्ष मदद मिली, इससे विदेशों में धनशोधन और सोना-चांदी, स्टाॅक, बाॅन्ड एवं सिक्योरिटी के जरिए निवेश परिवर्तित करने में सहायता मिली। शर्मा ने कहा, हम इसे एक तर्कसंगत निष्कर्ष तक पहुंचाने और इस सरकार के कदमों एवं इरादों पर से पर्दाफाश करने को लेकर दृढ है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नोटों का चलन बंद करने के कदम से बड़े स्तर पर रोजगार प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा, यह लोगों का धन है और आप उन्हें अपना ही धन प्राप्त करने के लिए भीख मंगवा रहे है। यह किसी भी देश में कभी नहीं हुआ। भाषा एजेंसी