53 वर्षीय सिद्धू राज्यसभा से इस्तीफा देने के कुछ ही महीने बाद कांग्रेस में शामिल हुए हैं। भाजपा नीत राजग सरकार की सिफारिशों पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सिद्धू को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू ने भाजपा के साथ संबंध तोड़ लिया था जिसके साथ उनके काफी मतभेद उभर आए थे। सिद्धू पूर्व में अमृतसर से लोकसभा सदस्य रहे और पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से उनके स्थान पर अरुण जेटली के चुनाव लड़ने के बाद से अप्रसन्न बताये जाते थे। जेटली हालांकि इस सीट पर पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह से पराजित हो गए थे।
कांग्रेस की सचिव आशा कुमारी ने बताया कि पार्टी समझती है कि सिद्धू अमृतसर पूर्व से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि यह सीट सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर को दी गई थी और अब यह इन पति-पत्नी को तय करना है कि उन दोनों में कौन इस सीट से चुनाव लड़ेगा।
उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि सिद्धू के पार्टी में शामिल होने में देरी हुई है और कहा कि वह (सिद्धू) आज शामिल होना चाहते थे और उन्होंने ऐसा ही किया।
भाजपा की सहयोगी अकाली दल ने अमृतसर के पूर्व सांसद सिद्धू पर प्रहार करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसी पार्टी और परिवार का दामन थाम लिया जिसने दरबार साहिब पर हमला किया था। पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखवीर बादल ने सवाल किया कि सिद्धू चुनाव के 20 दिन पूर्व राज्य में क्यों आए हैं और उन्हें सौदेबाजी पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। अकाली दल ने अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या उनके स्थान पर सिद्धू को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जा रहा है। कृपया स्थिति स्पष्ट करें कि क्या आप नवजोत सिद्धू को पंजाब में कांग्रेस का चेहरा बनाए जाने के पक्ष में हैं।
बहरहाल, अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के पार्टी में शामिल होने के बाद उनसे टेलीफोन पर बात की और कहा कि यह बड़ी खबर है और उनके पार्टी में शामिल होने से पंजाब में कांग्रेस और मजबूत होगी। अमरिंदर सिंह ने अपने बयान में कहा कि अमृतसर पूर्व सीट से पार्टी की पसंद होने के साथ ही वे कांग्रेस के लिए पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के स्टार प्रचारक होंगे।
राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू ने दिल्ली के मु़ख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाले आम आदमी पार्टी में भी शामिल होने का प्रयास किया था लेकिन बातचीत विफल रही।