उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं दिख रहा है। हालांकि, इसी बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि सपा और बसपा के साथी मिलकर सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे। इससे पहले बसपा की समीक्षा बैठक के बाद खबर आई थी कि मायावती ने कहा है कि बसपा उपचुनाव में अकेले उतरेगी। बता दें कि आमतौर पर बसपा उपचुनावों से दूर रहती है।
आजमगढ़ में जनसभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने गठबंधन के चुनावी प्रदर्शन का बचाव करते हुए कहा कि इस बार का लोकसभा चुनाव एक अलग तरह का था, जिसे वह समझ नहीं पाए।
यादव ने कहा, "यह फरारी और एक साइकिल (सपा का चुनाव चिन्ह) के बीच की दौड़ थी। हर कोई जानता था कि फरारी ही जीतेगी। लोकसभा चुनाव मुद्दों पर नहीं लड़ा गया, यह कुछ और ही था।"
सपा प्रमुख ने चुनाव में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए मीडिया को भी दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, "मुझे बताओ कि हर रोज टीवी पर किसको देखा जाता था? वे हमारे दिमाग में घुस गए। यह एक अलग तरह की लड़ाई थी, जिसे हम समझ नहीं पाए। जिस दिन हम इसे समझेंगे, हम उभर जाएंगे ।” ।
यह मानते हुए कि उनकी पार्टी के "विरोधी बहुत मजबूत हैं" यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सामाजिक गठबंधन के माध्यम से उनका मुकाबला करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी भले ही चुनाव हार गई हो, लेकिन हम प्रतिद्वंद्वी दलों को खुली चुनौती देते हैं कि वे अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों की तुलना हमारे कार्यकाल में किए गए कार्यों से करें। उनका काम हमारे सामने टिक नहीं पाएगा।"
बसपा के अधिकारिक रूख का इंतजार
आजमगढ़ में अखिलेश यादव की जनसभा से पहले, एक सपा प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी बसपा के "आधिकारिक रुख" के लिए इंतजार कर रही है कि गठबंधन जारी रखना है या नहीं।
मायावती ने जताई गठबंधन से नाराजगी
लोकसभा चुनाव नतीजों की समीक्षा करते हुए बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को लेकर बड़ा बयान दिया था। मायावती ने कहा कि बसपा को समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने का कोई फायदा नहीं मिला। मायावती ने दावा किया कि यादव वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हुआ। इसलिए अब गठबंधन की समीक्षा की जाएगी। मायावती ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष यादवों तक का वोट बंटने से नहीं रोक पाए। यादवों ने बीजेपी को वोट किया और यही वजह रही कि अखिलेश यादव अपनी पत्नी को भी चुनाव नहीं जिता पाए।
एजेंसी इनपुट