मनोज शर्मा
राहुल गांधी के निर्देश पर हिमाचल के नये प्रभारी सुशील कुमार शिंदे दोनों धड़ों से बात करके पार्टी को एक जुट रखने की कोशिश कर रहे है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पार्टी नेतृत्व पर प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को हटाने का पूरा दबाव बनाए हुए हैं। पार्टी के कई वरिष्ट नेता वीरभद्र सिंह को मनाने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी उन्हें यह समझा रही है कि चुनावों में वो ही पार्टी का चेहरा होंगे और नेतृत्व करेंगे। इसके साथ ही उनसे कहा गया है कि क्योंकि टिकटों को फाइनल सेंट्रल इलेक्शन कमेटी ही करती है इसलिए उनके समर्थक नेताओं का ध्यान रखा जाएगा। पार्टी ने उनसे कहा है कि चुनाव से पूर्व इस तरह का विवाद पार्टी के लिए काफी नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए इस मामले को जल्द ही खत्म किया जाए।
सीएम वीरभद्र ने अभी तक नहीं बदला रुख
हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने रुख को नहीं बदला है उनका कहना है कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष उन्हें मंज़ूर नहीं है। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि अगर सुखविंदर सिंह सुक्खू को नहीं बदला गया तो वो आगामी विधानसभा चुनाव से अलग रहेंगे। अपनी मांग को पार्टी तक पहुचाने के लिए 24अगस्त को वीरभद्र सिंह ने इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। अपनी भावनात्मक चिट्ठी में उन्होंने कहा था कि वह पंडित नेहरू के दौर से वह कांग्रेस के साथ रहे हैं। पिछले 60 सालों से उन्होंने कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के वर्तमान अध्यक्ष की गतिविधियों से वह बेहद हताश हैं। उन्होंने लिखा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल में पार्टी के संगठन को खत्म करने का काम किया है इसलिए उन्हें हटाया जाना चाहिए। इसके बाद उन्होने लिखा कि अगर सुक्खू को नही हटाया जाता है तो वह न तो चुनाव लड़ेंगे और ना ही लड़वाएंगे।
राहुल गांधी के करीबी हैं सुख्खू
हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुख्खू दो बार विधायक रह चुके हैं। सुख्खू को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का नजदीकी माना जाता है। उन्हें 2013 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था अध्यक्ष बनने के कुछ दिनों बाद से ही दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव शुरू हो गया था। कांग्रेस फिलहाल सुख्खू को हटाने की मांग को मानने को तैयार नहीं है लेकिन दूसरी तमाम कोशिशों के जरिए चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को मनाना चाहती है।